एक अपवाद को छोड़ दें तो तीन दशक से करहल में अजेय है समाजवादी, इस बार अखिलेश हैं मैदान में

इटावा: समाजवादी पार्टी (सपा) संरक्षक मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक गुरू नत्थू सिंह की कर्मभूमि रह चुकी यादव बाहुल्य मैनपुरी की करहल विधानसभा पिछले करीब तीन दशक से पार्टी के भरोसे पर हमेशा खरी उतरी है। सपा अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने पैतृक गांव सैफई से मात्र चार किमी की दूरी में स्थित करहल से अपने पहले विधानसभा चुनाव का आगाज करेंगे। उनके पिता एवं सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव 1967 ने पहली दफा जसवंतनगर विधानसभा से चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हे राजनीति में लाने वाले नत्थू सिंह की करहल एक समय कर्मभूमि रही है।

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वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दिया जाए तो पिछले करीब 32 साल से इस सीट पर समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा है। 2002 में सोवरन सिंह ने यह सीट भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की झोली में डाली थी, जो बाद में सपा में शामिल हो गए। जातिगत समीकरण की बात करें तो करहल विधानसभा सीट सपा के लिए काफी मुफीद रही है। यहां करीब साढ़े तीन लाख मतदाता है। इस सीट पर यादव मतदाताओं की संख्या तकरीबन डेढ़ लाख है। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी अच्छी खासी है। इसके अलावा शाक्य, ठाकुर, ब्राह्मण, लोधी और एससी मतदाता भी इस सीट का चुनाव परिणाम निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाते हैं।

कन्नौज के सांसद रह चुके अखिलेश के पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर अटकलें पिछले दिनो लगायी जा रही थी। खुद अखिलेश ने आजमगढ़ से चुनाव मैदान पर उतरने को लेकर इन अटकलों को हवा दी थी मगर किसी को यह अंदेशा नहीं था कि वह करहल सैफई से नजदीक करहल विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान कर देंगे।

राजनीति के जानकार बताते है कि यह ऐलान ऐसे ही नहीं हुआ है इसके पीछे भी अखिलेश यादव ने पूरा राजनीतिक गणित भी फिट किया है। समाजवादी पार्टी के भरोसेमंद सूत्र ने बताया कि मैनपुरी जिले के जिलाध्यक्ष समेत कई नेता अखिलेश यादव को मैनपुरी सदर सीट से चुनाव मैदान में उतरने की मांग कर रहे थे लेकिन अखिलेश ने अपने बेहद करीबी माने जाने वाले विधान परिषद सदस्य अरविंद यादव के प्रस्ताव को स्वीकार कर करहल से चुनाव लड़ने का ऐलान कर एक नई राजनीति को जन्म दे दिया है।

करहल विधानसभा के साथ यह भी बड़ा ही रोचक तथ्य जुड़ा हुआ है कि कभी यह सीट अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव (नेताजी) के राजनीतिक गुरु नत्थू सिंह यादव की विधानसभा सीट रही है। राजनीतिक विश्लेषक उदयभान सिंह यादव ने बताया कि अखिलेश यादव मैनपुरी जिले की जिस करहल विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे है, कभी इस सीट से उनके पिता मुलायम सिंह यादव के राजनैतिक गुरु नत्थू सिंह चुनाव लड़ विधानसभा तक जा पहुँचे थे।

नत्थू सिंह यादव के बारे में ऐसा कहा जाता है कि 1957 का विधानसभा चुनाव उन्होने करहल विधानसभा सीट से लड़ा था लेकिन 1962 के चुनाव में उन्होने जसवंतनगर सीट से सीट से किस्मत आजमायी जिसमें उन्हे सफलता भी मिली। साल 1967 के विधानसभा चुनाव में जसवंतनगर सीट को नत्थू सिंह ने छोड़ कर मुलायम सिंह यादव को चुनाव मैदान में उतार दिया । इस तरह पहली दफा मुलायम सिंह यादव 1967 में विधायक बन करके विधानसभा में जा पहुंचे।

करहल विधानसभा का नाता महाराजा पृथ्वीराज चौहान से भी रहा है। पृथ्वीराज चौहान कन्नौज के राजा जयचंद की बेटी संयोगिता से प्रेम करते थे लेकिन जयचंद ने सयोगिता की शादी के लिए स्वंयवर का आयोजन किया और पृथ्वीराज चौहान को निमंत्रण नहीं दिया गया। जिसके बाद पृथ्वीराज चौहान संयोगिता को अपने साथ दिल्ली ले गए। बाद में पृथ्वीराज के सेनापति मोटामल और जयचंद की सेना के बीच भीषण युद्ध हुआ। इस युद्ध में मोटामल वीरगति को प्राप्त हुए थे। पृथ्वीराज चौहान ने उनकी याद में इस मंदिर का निर्माण करवाया था।

करहल विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी (सपा) का सात बार कब्जा रहा है। इस विधासभा सीट से 1985 में दलित मजदूर किसान पार्टी के बाबूराम यादव, 1989 और 1991 में समाजवादी जनता पार्टी (सजपा) और 1993, 1996 में सपा के टिकट पर बाबूराम यादव विधायक निर्वाचित हुए। 2000 के उपचुनाव में सपा के अनिल यादव, 2002 में बीजेपी और 2007, 2012 और 2017 में सपा के टिकट पर सोवरन सिंह यादव विधायक चुने गए।

सपा एमएलसी अरविंद यादव का कहना है कि यह उनका सबसे बड़ा सौभाग्य है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष ने उनके प्रस्ताव को विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए स्वीकार कर लिया है। अब सभी समाजवादियों की यह जिम्मेदारी है कि उनको रिकॉर्ड मतों से चुनाव जितवा कर एक नया इतिहास रचा जाये।