नई दिल्ली/लखनऊः पीस पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी इरफान अहमद ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुरेश चव्हाणके के कार्यक्रम पर लगाई गई रोक पर खुशी का इज़हार किया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने समाज में नफरत फैलाने वाले एक शो के प्रसारण पर रोक लगाकर समाज को अच्छा संदेश दिया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का भी उल्लेख करते हुए कहा कि जिस प्रकार सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर टिप्पणी की है उसने सरकार की मंशा पर भी सवाल खड़े कर दिये हैं।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ साफ कहा है कि इस प्रसारण का मक़सद मुसलमानों का तिरस्कार करने जैसा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक एंकर आकर कहता है कि एक विशेष समुदाय यूपीएससी में घुसपैठ कर रहा है। क्या इससे ज़्यादा घातक कोई बात हो सकती है? ऐसे आरोपों से देश की स्थिरता पर असर पड़ता है और UPSC परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर लांछन लगता है।” इस पर पीस पार्टी के प्रभारी ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने इतनी सख्त टिप्पणी उस विवादित कार्यक्रम के पर की है, तो सूचना प्रसारण मंत्रालय ने इस विवादित कार्यक्रम को प्रसारित करने की अनुमती क्यों दी थी।
इरफान अहमद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समाज में नफरत फैलाने तमाम टीवी चैनल्स के प्रसारण पर रोक लगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई विवादित कार्यक्रम के प्रसारण के रोक के बावजूद केन्द्रीय सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय इस विवादित कार्यक्रम को प्रसारित करने की इज़ाजत क्यों दी थी? इरफान कहा कि क्या सरकार यही चाहती है कि विवादित विषयों का टीवी पर प्रसारण होता रहे, और यूपीएससी जैसी संस्था पर सवालिया निशान लगते रहें?
ग़ौरतलब है कि सुदर्शन चैनल के एंकर सुरेश चव्हाणके ने 28 अगस्त को अपने इस विवादित शो का प्रोमो जारी किया था, जिसमें यूपीएससी में चयनित होने वाले जामिया के छात्रों को जिहादी बताया गया था। सुरेश चव्हाणके ने आरोप लगाया था कि मुसलमान कार्यपालिका में घुसपैठ कर रहे हैं। इस प्रोमो के बाद जामिया के छात्र दिल्ली हाईकोर्ट गए थे, उसी दिन हाईकोर्ट ने इस कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक लगा दी थी।