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शादी के 18 दिन बाद ही डयूटी पर चले गए थे अज़हर, फिर कभी लौटकर नहीं आए, अब शहीद के परिवार के भूली सरकार

पठानकोट में तैनात सैनिक अजहरुद्दीन अपनी शादी के 18 दिन बाद डयूटी पर गए थे, फिर कभी लौटकर नहीं आए। अज़हर ने अपनी यूनिट की ओर 12 किमी की दौड़ जीती लेकिन उनकी सांसे रुक गयीं। चार महीने हो चुके, मेवात के इस सैनिक को दुनिया से गए, लेकिन परिवार को कोई देखने वाला नहीं।

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10 मार्च 2021 को भारतीय सेना के जवान अजहरुद्दीन ने अपनी जिंदगी की नई पारी की शुरूवात की थी। इसी रोज़ उनकी शादी हुई और वो अपने जीवनसाथी को घर लेकर हरियाणा के मेवात के तावडू के गाँव नाई नगला में आए। अपनी दुल्हन से वादा किया, कि ताउम्र साथ रहेंगे। 23 साल के अजहरुद्दीन शादी के कुछ दिनों बाद लौटकर अपनी यूनिट पठानकोट पहुंचे। उस वक़्त अजहरुद्दीन ने अपने घरवालों से घर वापस आने का वादा किया, वो करीब 4 महीने बाद 21 अगस्त 2021 को वापस भी आए, लेकिन अफसोस चार कंधों पर, क्योंकि अजहरुद्दीन ड्यूटी के दौरान अपना फ़र्ज़ निभाते हुए दुनिया से रुख़सत हो गए थे।

अजहरुद्दीन 10 आर्म्ड में टैंक ऑपरेटर थे। बेहतरीन बॉक्सर और दमदार रेसर थे। फौज में कई बड़ी रेस उन्होंने जीती थी और 20 अगस्त को भी उन्होंने फौज की एक बड़ी रेस में हिस्सा लिया था। पठानकोट में फौज की इस रेस को अजहरुद्दीन ने जीत भी लिया लेकिन दिल की धड़कनें बढ़ गई और अजहरुद्दीन की सांसें रुक गयी। ड्यूटी के दौरान हुई अजहरुद्दीन की इस मौत से हर कोई सदमे में था।

जो वादे किये पूरे न हुए

नई दुल्हन बेवा हो गयी और वो वो अभी भी इद्दत में है। करीब तीन महीने पहले अजहरुद्दीन के जनाज़े को उनके गाँव लाया गया और फिर गाँव के ही कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्द ख़ाक कर दिया गया। जिस समय अजहरुद्दीन के जनाज़े को पठानकोट से मेवात के तावडू लाया गया उस वक़्त पूरे इलाके के लोगों ने फौज के इस जवान की आखिरी रसूमात में हिस्सा लिया। जिम्मेदार लोगो ने अस्पताल से लेकर सड़क तक अजहरुद्दीन के नाम से बनवाने का वादा किया. लेकिन अफसोस आजतक अजहरुद्दीन के परिवार से किया गया एक वादा भी पूरा नहीं किया गया। एक माँ के बेटे ने देश की ख़िदमत में ड्यूटी के दौरान अपनी जान गवा दी लेकिन ना एक रूपया आज तक अजहरुद्दीन की पत्नी या मा बाप को दिया गया है ना ही कोई अस्पताल या सड़क पर अजहरुद्दीन का नाम लिखा गया है।

अजहरुद्दीन 18 महीने की ट्रेनिंग के बाद पिछले तीन साल से लगातार फौज में अपनी ख़िदमात दे रहे थे। घर के नाम के पर इस परिवार के पास तिरपाल से ढकी एक चारदीवारी है तो वही कमाने का कोई ख़ास जरिया नहीं। अजहरुद्दीन के वालिद और भाई ठेके पर जमीन लेकर खेती करते है। जिससे परिवार का पेट पलता है। अज़हर के वालिद और भाई कहते हैं कि उनका बेटा तो ड्यूटी के दौरान दुनिया से रुखसत हो गया लेकिन सरकार या जिम्मेदार लोगों ने एक बार भी ना तो उनके परिवार से कभी मिलने की जहमत उठाई और ना ही किसी ने एक रुपये की भी आर्थिक मदद की।

कोई भी मां बाप अपने बच्चों को फौज में मुल्क की खिदमत करने के लिए भेजते लेकिन ड्यूटी के दौरान अगर उनके बेटे दुनिया से रुखसत हो जाए। तो क्या सरकार की जिम्मेदारी नहीं बनती की दुनिया से गए सैनिक की पत्नी या वालीदैन की सुध ले। अगर दुनिया से गए सैनिक के घर के हालात कितने मुश्किलों भरे हैं तो फिर जिम्मेदार लोग कहां सोए हुए हैं यकीनन यह सवाल अभी भी बना हुआ है।