परवेज त्यागी
लखनऊः पार्टी के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री आजम खां की नाराजगी को दूर करने में कोई कोर-कसर सपा मुखिया नहीं छोड़ रहे हैं। राज्यसभा से विधान परिषद तक दोनों चुनाव में अखिलेश यादव ने आजम की पसंद को तरजीह दी है। बुधवार को सपा ने एमएलसी के लिए जिन चार नामों की घोषणा की है, उनमें दोनों मुस्लिम चेहरे आजम की पसंद के हैं। ऐसे में सपा ने आजम के करीबियों को उच्च सदन में स्थान देकर बाकी को मायूस कर दिया है।
सहारनपुर के दिग्गज नेता पूर्व विधायक इमरान मसूद को फिर से मायूसी हाथ लगी है। इमरान विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी में कांग्रेस को अलविदा कहकर शामिल तो हो गए थे, लेकिन टिकट हासिल नहीं कर पाए थे। हालांकि चर्चा है कि पार्टी प्रमुख ने एमएलसी बनाने का वायदा इमरान मसूद से किया था और सूत्रों की माने तो मंगलवार तक उनके नाम पर मुहर लगने की संभावना भी जताई जा रही थी, लेकिन बुधवार को घोषित नामों की सूची में नाम नहीं आने पर इमरान को पार्टी ने औंधे मुंह गिरा दिया है। माया मिली न राम वाली कहावत उन पर चरितार्थ हो रही है। इसके इतर सहारनपुर से ही इमरान के धुर विरोधी सरफराज खान के बेटे शाहनवाज खान को एमएलसी का टिकट देकर पार्टी ने उनके ताबूत में आखिरी कील ठोंकने का काम कर दिया है।
सपा ने सरफराज खान को पूर्व मंत्री आजम खां के भरोसेमंद होने का इनाम दिया है। वहीं, दूसरे मुस्लिम चेहरे सीतापुर जिले की लहरपुर सीट से विधायक रहे जास्मीन अंसारी हैं, जो आजम खेमे के हैं और उनकी पंसद के चलते ही उनको दूसरे मुस्लिम चेहरों पर तरजीह दी गई है। पार्टी ने जास्मीन के सहारे अवध में मुस्लिमों को साधे रखने की रणनीति पर काम किया है, लेकिन शाहनवाज की ताजपोशी से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम नेताओं के बीच पार्टी को अंदरखाने विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
एमएलसी के लिए पश्चिमी से इमरान मसूद के अलावा भी कई मुस्लिम नेता उच्च सदन जाने की लाइन में थे, लेकिन उनको पार्टी की ओर से निराशा हाथ लगी है। सहारनपुर में इमरान पर शाहनवाज को पार्टी का तरजीह देना उनके समर्थकों को रास नहीं आ रहा है। वहीं, आजम खां का फिर से पार्टी में बढ़ता वर्चस्व भी पुराने समाजवादियों को पचना आसान बात नहीं है। तरजीह न मिलने से नाराज नेताओं के विरोध का गुबार कभी भी निकलकर पार्टी में हलचल उत्पन्न कर सकता है।