नयी दिल्लीः अवनि लेखरा को 2012 में हुई एक कार दुर्घटना के बाद व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ा क्योंकि उनके पैर हिल डुल नहीं पाते थे लेकिन यह हादसा उनके और उनके परिवार के इरादों को जरा भी नहीं डिगा सका और उन्होंने सभी तरह की परिस्थितियों का डटकर सामना किया। इस दुर्घटना में अवनि की रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट लगी थी। उनके पिता के जोर देने पर उन्होंने निशानेबाजी करना शुरू किया।
पूर्व ओलंपिक निशानेबाज सुमा शिरूर की देखरेख में वह ट्रेनिंग करने लगी और सोमवार को 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एचएस1 में 246.6 अंक के कुल स्कोर से तोक्यो में पैरालंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारत की पहली खिलाड़ी बन गयीं। जयपुर की 19 साल की निशानेबाज ने इस दौरान पैरालंपिक का नया रिकार्ड भी बनाया और विश्व रिकार्ड की बराबरी भी की।
वह ‘फुल-टाइम’ निशानेबाज नहीं बनना चाहती थीं लेकिन अभिनव बिंद्रा (भारत के पहले ओलंपिक व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता निशानेबाज) की आत्मकथा ‘ए शॉट एट ग्लोरी’ पढ़ने के बाद वह इतनी प्रेरित हुईं कि उन्होंने अपने पहले ही पैरालंपिक में इतिहास रच दिया। कोविड-19 महामारी से उनकी तोक्यो पैरालंपिक की तैयारियों पर असर पड़ा जिसमें उनके लिये जरूरी फिजियोथेरेपी दिनचर्या सबसे ज्यादा प्रभावित हुई।
लेखरा ने कहा, ‘‘रीढ़ की हड्डी के विकार के कारण कमर के निचले हिस्से में मुझे कुछ महसूस नहीं होता लेकिन मुझे फिर भी हर दिन पैरों का व्यायाम करना होता है।’ ’उन्होंने कहा, ‘‘एक फिजियो रोज मेरे घर आकर व्यायाम में मेरी मदद करता था और पैरों की स्ट्रेचिंग करवाता था। लेकिन कोविड-19 के बाद से मेरे माता-पिता व्यायाम करने में मेरी मदद करते हैं। वे जितना बेहतर कर सकते हैं, करते हैं।’’
कमर के निचले हिस्से के लकवाग्रस्त हो जाने के कारण उनके लिये पढ़ाई ही एकमात्र विकल्प बचा था लेकिन जिंदगी ने उनके लिये कुछ और संजोकर रखा था। गर्मियों की छुट्टियों में 2015 में राइफल उठाने के बाद लेखरा ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में काफी अच्छा प्रदर्शन किया और फिर वो यात्रा शुरू हुई जिसमें उन्होंने खेल के शीर्ष स्तर पर सबसे बड़ा पुरस्कार हासिल कर इतिहास रच दिया।
विश्व रैंकिंग में पांचवें स्थान पर काबिज लेखरा अभी तीन और स्पर्धाओं – मिश्रित एयर राइफल प्रोन, महलाओं की 50 मीटर राइफल थ्री पॉजिशन और मिश्रित 50 मीटर राइफल प्रोन – में हिस्सा लेंगी। तोक्यो से बात करते हुए लेखरा ने कहा, ‘‘मैं यह पदक जीतकर बहुत खुश हूं। मैं इस अहसास को बयां नहीं कर सकती। मुझे ऐसा लग रहा है जैसे कि मैं दुनिया में शीर्ष पर हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं सभी भारतीयों को यह पदक समर्पित करती हूं। यह तो शुरूआत है। मुझे आगे और स्पर्धाओं में भाग लेना है तथा और पदक जीतने हैं। मेरे अभी तीन और मैच हैं और मैं उन पर ध्यान लगाये हूं। अपना शत प्रतिशत दूंगी।’’
उन्होंने 2017 में बैंकाक में डब्ल्यूएसपीएस विश्व कप में कांस्य पदक जीता। इसके बाद उन्होंने क्रोएशिया में 2019 में और संयुक्त अरब अमीरात में हुए अगले दो विश्व कप में इस पदक का रंग बेहतर करते हुए रजत पदक अपने नाम किये। शिरूर तोक्यो में उनके साथ ही हैं। वह ओलंपिक में भारतीय राइफल निशानेबाज दिव्यांश सिंह पंवार और ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर का मार्गदर्शन भी कर रही थीं। शिरूर ने कहा, ‘‘मुझे अवनि के साथ होना ही था, यह खेलों का अंतिम लक्ष्य था। मैं खुश हूं कि उसने स्वर्ण पदक जीता। ’’