पुण्यतिथि विशेषः असरार-उल-हक़ ‘मजाज़’ हम पर है ख़त्म शामे-ग़रीबाने-लख़नऊ
ज़ाहिद ख़ान ‘‘फ़िराक़ हूं और न जोश हूं मैं, मजाज़ हूं सरफ़रोश हूं मैं।’’ शेर-ओ-अदब की महफ़िल में जब भी ग़ज़लों-नज़्मों का जिक्र छिड़ता है, मजाज़ लखनवी का नाम ज़रूर….
ज़ाहिद ख़ान ‘‘फ़िराक़ हूं और न जोश हूं मैं, मजाज़ हूं सरफ़रोश हूं मैं।’’ शेर-ओ-अदब की महफ़िल में जब भी ग़ज़लों-नज़्मों का जिक्र छिड़ता है, मजाज़ लखनवी का नाम ज़रूर….