नई दिल्लीः बीते वर्ष उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित युवती के साथ हुए सामूहिक बलात्कार और हत्या के बाद पीड़ित परिजनों से मिलने जा रहे अतीकुर्रहमान को पांच अक्टूबर को तीन अन्य लोगों के साथ यूपी पुलिस ने गिरफ्तार किया था। जिसके बाद से अतीकुर्रहमान अभी तक मथुरा जेल में बन्द हैं। अतीक को एओर्टिक रिगरजिटेशन नामक दिल की बीमारी है और उनकी हालत चिंताजनक है, लेकिन जेल में उन्हें सही चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है।
बीते रोज़ दिल्ली स्थित प्रेस कल्ब ऑफ इंडिया में अतीकुर्रहमान की पत्नी और उनके वकील ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मांग की है कि मानव अधिकार के तहत सबको बेहतर स्वास्थ्य सुविधा पाने और जीने का अधिकार है। अतीकुर्रहमान को बेहतर चिकित्सा सुविधा दिलवाई जाए और उसे जमानत दी जाए।
पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के महासचिव अश्वान सादिक ने कहा, “अतीकुर्रहमान रहमान को पांच अक्टूबर 2020 को गिरफ्तार किया गया था, और छ अक्टूबर को UAPA लगा दिया गया। 10 महीनों से ज्यादा समय हो चुका है, अतीकुर्रहमान जेल में है। इन्हें जेल में डालने के पीछे बहुत बड़ी साजिश है। अतीकुर्रहमान सीएए के खिलाफ काम कर रहे थे, इसलिए इन्हें झूठे केस में फंसाया गया। रहमान दिल के मरीज हैं। नवंबर 2020 में एम्स में उनकी सर्जरी होनी थी, लेकिन उससे पहले उन्हें अरेस्ट कर लिया गया। उन्हें जेल में स्वास्थ्य सुविधाएं दी जानी थी। लेकिन उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं दी गईं। पिछले तीन-चार दिनों से वह जेल अस्पताल में भर्ती हैं। कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया(सीएफआई) की मांग है कि अतीकुर्रहमान को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराई जाए।”
इलाज के साथ हो रहा खिलवाड़
अतीकुर्रहमान की पत्नी संजीदा कहती हैं, “वे मथुरा जेल में बन्द हैं। बीते 11 महीनों से वे जेल में बन्द हैं। उन्हें दिल की बीमारी है और उन्हें बेहतर इलाज की जरूरत है। अगर इलाज नहीं मिला तो उनकी ज़िंदगी को ख़तरा हो सकता है। उनके साथ जो कुछ हो रहा सही नहीं हो रहा। उनके इलाज के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। हमें उनके स्वास्थ्य के बारे में कोई सही जानकारी नहीं दी जा रही है। वे एक दलित लड़की को इंसाफ दिलाने जा रहे थे, लेकिन उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।”
क्या कहते हैं वकील
अतिकुर्रहमान के वकील मधुवन दत्त चतुर्वेदी ने कहा, “सबसे पहले मैं ये कहना चाहता हूं कि कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) या किसी भी अन्य राजनीतिक संगठन से मेरा कोई सम्बन्ध नहीं। मैं अतीकुर्रहमान का वकील हूं। मैं सीएफआई के महा सचिव के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहा हूं। वकील के तौर पर। लाइफ और लिबर्टी की गारंटी हमारे संविधान में है। हाथरस कांड के दौरान यूपी पुलिस की तरफ से एक बयान आया था कि इस केस की आड़ में प्रदेश में जाती और धर्म के आधार पर गड़बड़ी फैलाने की साजिश की जा रही है। माहौल खराब करने की साजिश थी। चंदपा थाने में एक एसआई द्वारा एफआईआर दर्ज की गई। चार अक्टूबर को ये एफआईआर हुई थी। एफआईआर को पढ़ने से लगता है कि पुलिस इस मामले के आरोपियों को जानती है, लेकिन उसके बावजूद आरोपियों को अज्ञात बताया गया। पांच अक्टूबर को अतीकुर्रहमान व उनके तीन साथियों को मथुरा टोल से पकड़ा गया। वे हाथरस जा रहे थे। शांति भंग के मामले में उन्हें पकड़ा गया था। इस मामले में छह अक्टूबर को एसडीएम द्वारा रहमान व उनके तीन साथियों को जेल भेज दिया। सात अक्टूबर को इन पर यूएपीए भी लगा दिया गया।”
पांच नवम्बर को लगाई हैबियस कार्पस अब तक पेंडिंग
मधुवन दत्त का कहना है कि पांच नवम्बर को इलाहाबाद हाई कोर्ट में अतीकुर्रहमान के लिए हैबियस कार्पस लगाई गई(क्योंकि उन्हें अवैध रूप से हिरासत में रखा गया है), जो अभी तक पेंडिंग है। पुलिस ने अप्रैल में चार्जशीट दायर की। प्रावधान ये है कि चार्जशीट दायर करने से पहले सरकार से सैंक्शन जरूरी है, लेकिन इस केस में ऐसा नहीं हुआ। मेरा मानना है कि अतीकुर्रहमान रहमान अवैध हिरासत में है। यूपी जेल मैन्युअल में ये स्पष्ट है कि जेल ऑथोरिटी अदालत को कैदी के स्वास्थ्य की जानकारी देगी। लेकिन इस मामले में जेल अथॉरिटी सिर्फ खानापूर्ति करते हुए जवाब देती है, जबकि जानकारी के तौर पर मेडिकल रिपोर्ट के साथ सही जानकारी दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि अतीकुर्रहमान रहमान की तबियत लगातर बिगड़ती जा रही है। वह अभी मथुरा जेल के अस्पताल में भर्ती हैं, जबकि वहां पर उसकी बीमारी का सही उपचार नहीं है। इससे पहले उसे आगरा के अस्पताल भी भेजा गया था लेकिन वहां भी उन्हें सही इलाज नहीं मिला। यूपी में ऐसा प्रावधान है कि कैदी अपने वकील से सप्ताह में एक बार फोन पर बात कर सकता है। उसने मुझे फोन पर अपने खराब स्वास्थ्य के बारे में बताया। वह दोषी है या नहीं, ये आने वाले समय में पता चलेगा। लेकिन ह्यूमन राइट के तहत एक अंडर ट्रायल को भी बेहतर स्वास्थ्य लाभ उपलब्ध कराया जाना चाहिए। यहां रहमान का जीवन दांव पर है।
बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने की मांग
मधुवन दत्त ने बताया कि इससे पहले भी वो चार बार बेहतर स्वास्थ्य उपलब्ध कराए जाने के लिए अदालत से गुहार लगा चुके हैं। उन्होंने कहा कि अब हमने हाई कोर्ट में अर्जी लगाई है। अतीकुर्रहमान के सह आरोपी सिद्दीकी कप्पन, पत्रकार जेल में ही एक बार कोविड पॉज़िटिव हो चुके हैं। रउफ शरीफ दो बार कोविड पॉज़िटिव हुए। वे जेल में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर शिकायत भी कर चुके हैं।