दीपक असीम
हिंदु होने के लिए हिंदू के घर पैदा होना भी ज़रूरी नहीं। दूसरे धर्म से घर वापसी करके भी हिंदू हुआ जा सकता है। हिंदू होने के लिए पहली शर्त है खुद को हिंदु मानना। तैंतीस करोड़ देवी देवताओं को पूज कर भी आप हिंदू हो और नास्तिक होकर भी आप हिंदू ही हो। आप तंत्रमार्गी होकर भी हिंदू हो सकते हैं, भक्ति मार्गी होकर भी, शाक्त होकर भी और शैव होकर भी। कबीरपंथी होकर भी और रैदासमार्गी होकर भी। नाथ संप्रदाय के होकर भी आप हिंदू हो सकते हो और इन सब लफड़ों में ना पड़ते हुए होली दिवाली मना कर भी आप हिंदू हो सकते हो। सांस्कृतिक रूप से हिंदू होना आसान है। मगर राजनीतिक रूप से हिंदू होना बहुत कठिन है।
राजनीतिक रूप से हिंदू होने के लिए आपको बहुत ही नफरत करने वाला जीव बनना होगा। आपके मन में अगर मुसलमानों के प्रति दिल की गहराइयों तक नीली नीली नफरत नहीं है, तो आप राजनीतिक रूप से हिंदू नहीं कहे जा सकते। आपको मुस्लिम नरसंहार का समर्थन करना होगा। आपको इज़राइल के पक्ष में खड़े होकर ट्विट करने होंगे और फिलिस्तीनियों की हत्या पर खुश होना होगा। छोटे बच्चों की मौत पर आपको कहना होगा कि अच्छा हुआ जो एक संपोला मर गया। आपको तमाम वाट्सएप ज्ञान को गीता ज्ञान की तरह स्वीकार करना होगा। आपको मानना होगा कि नेहरू पापी थे और गांधी की हत्या करके गोड़से ने पुण्य का काम किया है। सावरकर की माफी को आप भूल जाइये।
संघ और हिंदू महासभा ने अंग्रेजों से जो वफादारी निभाई उसे आप याद नहीं रख सकते। अगर आप इतिहास को संघ भाजपा के एंगल से नहीं देख सकते तो आप राजनीतिक रूप से हिंदू नहीं माने जा सकते। अगर आप भारतीय जनता पार्टी के तरफदार नहीं हैं तो आपको नकली हिंदू बता दिया जाएगा, भले आप कितने ही ज्यादा धर्मप्राण क्यों ना हों।आपके मन में दलितों के लिए भी नफरत और ईर्ष्या होना चाहिए। अगर आपके मन में दलितों के लिए दया है, तो आप राजनीतिक रूप से हिंदु नहीं हो सकते। आपके लिए ज़रूरी है कि आप आरक्षण का विरोध करें और अंबेडकर के लिए मन में दुश्मनी और नफरत रखें।
आम आदमी पार्टी में रह कर आप राजनीतिक रूप से हिंदू नहीं हो सकते। कांग्रेस में रहकर हिंदू होना तो संभव ही नहीं है। सपा-बसपा को तो जाने ही दीजिए और कम्युनिस्टों की तो बात ही मत कीजिए। इनके पार्टी प्रमुखों को हिंदू मानने के लिए कोई तैयार नहीं है। राहुल गांधी जनेऊधारी हिंदु हैं, मगर भाजपा के खिलाफ हैं इसलिए हिंदू नहीं हैं। सोनिया गांधी ने हिंदु बन कर हिंदु रीति से विवाह किया। हिंदू विधवा की गरिमा निभाई, दूसरा विवाह नहीं किया, मगर वे ईसाई हैं। दूसरे धर्म की कोई भी लड़की हिंदु पध्दति से विवाह करके, मांग में सिंदूर भर कर हिंदू हो सकती है, मगर सोनिया गांधी नहीं हो सकतीं क्योंकि वे भारतीय जनता पार्टी की सदस्य नहीं हैं। इनकी थ्यौरी है कि नेहरू मुसलमान थे और राजीव, राहुल, सोनिया सब मुसलमान हैं। मगर दिवगंत संजय गांधी की विधवा मेनका गांधी हिंदु हैं। राहुल मुस्लिम हैं मगर उनके चचेरे भाई वरूण गांधी हिंदु हैं, क्योंकि वे भाजपा में हैं।
अरविंद केजरीवाल और उनकी सात पुश्ते हिंदू हैं, संजय सिंह, मनीष सिसौदिया सब हिंदू हैं, मगर भाजपाई इन्हें हिंदू नहीं मानते क्योंकि ये लोग दंगा नहीं करते और मुसलमानों के खिलाफ नफरत वाली बातें नहीं बोलते। ममता बैनर्जी को तो बंगाल चुनाव में ममता बेगम बोल दिया गया क्योंकि वे भाजपाई नहीं भाजपा के खिलाफ हैं। ममता बैनर्जी बंगाली ब्राम्हण हैं। मगर इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता। हिंदू केवल वो है, जो भाजपा में है। बाकी सब मुल्ले हैं, नकली हिंदू हैं, पादरियों की औलादे हैं, पड़ोसी मुल्लों की नाजायज संताने हैं। जो भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ले, वो फौरन असली हिंदू हो जाता है। भाजपा छोड़ते ही वो फिर किसी पड़ोसी मुल्ले की औलाद में तब्दील हो जाता है।
राजनीतिक रूप से हिंदू होने के लिए आपको नफरती, मंदबुध्दि और भेड़चाल चलने में माहिर होना चाहिए। अगर आप राजनीतिक रूप से हिंदू नहीं हैं, तो आपको देश की किसी समस्या पर बोलने का कोई हक नहीं है। राममंदिर की चंदा चोरी पर भी आप नहीं बोल सकते। आप अस्पतालों की दशा पर नहीं बोल सकते, आप ऑक्सिजन की कमी पर नहीं बोल सकते। सांस्कृतिक हिंदू का काम है हिंदू की तरह जिए और मर जाए। लेकिन अगर राजनीतिक रूप से हिंदू होना हो, तो अक्ल पर ताला लगाकर चाबी भाजपा दफ्तर में या शाखाबाबू के पास जमा करानी होगी।
(लेखक पत्रकर एंव स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)