सुखवंत सिंह डांगी
आर्य समाज मंदिर लड़के लड़कियों की शादी करवाते हैं! कोई घर से भाग आओ उनके पास जाओ और शादी कर लो! शादी का जो सर्टिफिकेट होता है उस पर लिखते हैं कि ये शादी रीति रिवाजों के अनुसार हुई है। हिन्दू मैरिज एक्ट उन्हे शादी करवाने और उसका सर्टिफिकेट देने की परमिशन नही देता है। हिन्दू मैरिज एक्ट में शादी की रजिस्ट्रेशन की एक ही जगह है और वो है सब रजिस्ट्रार और रजिस्ट्रार ऑफिस और अगर उसमें शादी रजिस्टर करवाओगे तो माता पिता को नोटिस देते हैं, मतलब ये आर्य समाज मंदिर हिन्दू मैरिज एक्ट द्वारा नही बनाए गए हैं और ना ही ये ही उस सर्टिफिकेट पर लिखते कि ये शादी हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत करवाई है उस पर तो ये लिखते हैं कि ये शादी रीति रिवाज और कस्टम्स से हुई है लेकिन रीति रिवाजों का और कस्टम्स का कोई पालन नहीं करते हैं।
हमारी रीति रिवाजों में और कस्टम्स में कन्या दान का जिक्र है जिसमें पिता अपनी पाल पोस कर बड़ी हुई कन्या को सौंपता है लेकिन ये उसका पालन नहीं करते हैं मतलब ना ये शादी रीति रिवाजों और कस्टम्स के साथ होती है मतलब शादी होती ही नही है केवल लड़के और लडकी की हिम्मत बढ़ा कर उसे उकसा कर एक दूसरे के साथ भाग जाने का वातावरण तैयार कर देते है और डिस्ट्रिक्ट जज इनको पुलिस प्रोटेक्शन देते हैं।
ये सारा खेल चला हुआ है और खूब चला हुआ है। जाटों की कल्चर पर विशेष नजरे इनायत है इनकी ओर उनके लिए ही ये ढांचा तैयार किया गया है। जब एक युवा इस तरह की हरकत कर देता है तो जीवन भर उभर नही पाता है। उनकी शादी नही चलती है लेकिन वे पूरे जीवन अपराध बोध से भरे रहते हैं और मानसिक रूप से कमजोर हो जाते हैं। हमारी युवा पीढ़ी को कमजोर करने का अभियान जारी है। हर शहर में ये काम एक दो आर्य समाज मंदिर तो जरूर कर रहे हैं। हमारे ही लोग इनको चंदा देते हैं और मजबूत बनाते हैं।
ये शादी होती ही नही है, भाग जाने के लिए उकसाना है बस इनको। माता पिता रोते रहते हैं। पूरा परिवार समाज में अलग थलग हो जाता है। लोगों का जीवन तक चला जाता है! डिस्ट्रिक्ट जज भी इस बात को समझे कि ये घालमेल क्या है? शादी की कंडीशन तो हिन्दू मैरिज एक्ट से उठा ली और उनको नाम दे दिया रीति रिवाजों और कस्टम्स का! ये असल घालमेल है। आर्य समाज कुछ करे लेकिन कम से कम ये तो ना करे और समाज को शांति से रहने दे।
आर्य समाज ने जाटों का उत्थान किया या नही ये तो शोध का विषय है पर इस मामले में गहरा नाश किया है। हिन्दू मैरिज एक्ट आने से पहले आर्य समाजी मैरिज एक्ट आया था और उसी वक्त आया था जब चौधरी छोटूराम मंडी एक्ट लेकर आए थे और इसी आर्य समाजी मैरिज एक्ट ने हिन्दू मैरिज एक्ट की नींव डाली थी। जैसे बीज बोने से पहले ज़मीन को तैयार किया जाता है और फ़िर बीज लगाया जाता है। हिन्दू मैरिज एक्ट रुपी बीज लगाने से पहले आर्य समाजी मैरिज एक्ट जमीन की तैयारी थी।
आर्य समाज से संबंध रखने वाले सजग नागरिक जो कल्चर के नाश को रोकना चाहते हैं वे आर्य समाज के अंदर बात करे अगर कुछ सुधार चाहते हैं तो. हवन ऑक्सीजन मंत्र इन सब को करते रहें ये उनकी मर्जी ये उनकी निजी सोच है पर ये शादी ब्याह वाली बात समाज की बर्बादी की इबारत लिख रही है।
(लेखक सोशल एक्टिविस्ट एंव एडवोकेट हैं)