सुसंस्कृति परिहार का लेख: ज़ुबानी जंग से भारत की हालत ख़स्ता

यूं तो हमारे देश में चुनाव के दौरान जुबानी जंग का छुटपुट नज़ारा देखने मिलता था जिसमें झूठ का हल्का पुट भी होता था किंतु 2014का चुनाव माशाल्लाह क्या गज़ब का रहा कि जुबानें कैंची की तरह चलीं।झूठम झूठ का खेल यूं चला कि झूठ की गंगा बह निकली जिसमें आमतौर पर लगातार जीत का सेहरा झूठी जुबानी जंग को ही पड़ा।अब तो ये जुबानी जंग सिर चढ़कर बोलने लगीं है।झूठ बोलने में संकोच,झिझक तो परे हटकर रह गई उसे ऊपरी तौर पर संरक्षण भी मिला ।आई टी सेल और व्हाट्स ऐप यूनिवर्सिटी इनके गढ़ बन गए।झूठ को सच साबित करना इनका एकमात्र मकसद रहा।देश में झूठ और जुबानी जंग की खेती इतनी कारगर रही है कि आम लोग इसे अपनी तकदीर मान बैठे हैं। क्योंकि जो इनका विरोध करें वह जेल जाए।झूठे इल्ज़ाम का आरोपी बने। इसलिए राहुल गांधी को कहना पड़ा जो निडर वह आगे आए।मतलब कबीराना अंदाज जो घर फूंके अआपना चले  हमारे संग।

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बहरहाल जब जुबान ज्यादा चलती है तो कहते-कहते वह फिसल ही जाती है या यूं कहें कि मन की बात निकल ही आती है।ऐसा ही कुछ नुपुर शर्मा के साथ हुआ।जो भाजपा प्रवक्ता हैं इसलिए पैगम्बर मोहम्मद साहब को अनाप शनाप बोल गईं सोचा होगा इसका उन्हें इनाम मिलेगा।दंगा फसाद करवाना आज स्टेटस सिंबल जो बन गया है।कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर इसके उदाहरण हैं। लेकिन उल्टी हो गई सब तदवीरैं कुछ ना दवा ने काम किया। मोहम्मद साहब की बेइज्जती भारी पड़ गई।पैग़ंबर मोहम्मद के बारे में बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा की विवादास्पद टिप्पणियों पर मुस्लिम देश लगातार आपत्ति जता रहे हैं। क़तर के बाद कुवैत, सऊदी अरब, अफ़ग़ानिस्तान, ईरान और पाकिस्तान ने क्या-क्या कहा यह भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि के साथ साथ भारत के व्यापारिक रिश्तों पर भी भारी पड़ गया। मोहतरमा ये भूल गईं भारतीय गणतंत्र में हिन्दू धर्म के बाद इस्लाम धर्म दूसरा सर्वाधिक प्रचलित धर्म है, जिनके अनुयायीयों  देश की जनसंख्या का 17.2करोड़ हैं (2011 की जनगणना) भारतीय संविधान उन्हें अपने धर्म पालन की अनुमति प्रदान करता है।सबके अपने अलग-अलग ख़ुदा और भगवान हैं ।

 अब विडम्बना ये हो गई कि बात मुस्लिम देशों तक पहुंच गई मुसलमान की बातें तो दब जाती हैं किन्तु बात उनके पैगम्बर साहब की थी । इसलिए कतर ने सबसे पहले भारतीय दूतावास को तलब किया।भारत माफ़ी मांगे।बात अन्य मुस्लिम देशों तक पहुंची।सऊदी अरब में भारत की कंपनियों और सामान का वहिष्कार शुरू हो गया।इधर मोहतरमा को पार्टी से निकाल दिया गया ।उनने अपना पक्ष रखते हुए माफी भी मांगी।पर ये देश ,भारत से माफी चाहते हैं। कुछ लोग यह कह रहे हैं जिन भाजपाइयों ने नफ़रत की आग सुलगाई वे सब जिम्मेदार है । विदित हो अमेरिका ने भी भारत को कई बार इस मामले पर चेताया भी है।

इस ख़स्ता हालत को सुधारने के उपक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खाड़ी क्षेत्र के मुस्लिम देशों के साथ भारत के रिश्तों की नई इबारत लिखने की तैयारी में जुटे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से जुड़े सूत्रों का कहना है कि साल के अंत तक प्रधानमंत्री इस्राइल के अलावा सऊदी अरब की यात्रा पर भी जा सकते हैं।

साथ ही उच्च स्तर पर एक विचार यह भी चल रहा है कि इंडोनेशिया के बाद दुनिया की सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले देश भारत को मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी (आर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कंट्रीज) की सदस्यता की भी दावेदारी करनी चाहिए। भारत पहले भी इस संगठन में पर्यवेक्षक सदस्य के रूप में शामिल रह चुका है।सूत्रों के मुताबिक सऊदी सरकार मोदी की मेहमाननवाजी के लिए खासी उत्सुक भी है। ऑस्ट्रेलिया में सऊदी शासक किंग सलमान बिन अब्दुल अजीज अल सऊद की पीएम मोदी से अच्छी मुलाकात हुई थी। इसके बाद यमन संकट के दौरान दोनों की फोन पर सीधी बातचीत से भी निकटता बढ़ी है।

सूत्रों के मुताबिक मोदी सरकार की विदेश नीति के शिल्पकार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कूटनीति का ताना बाना बुन रहे है। इसके लिए उन्होंने आईबी में अपने विश्वस्त रहे आसिफ इब्राहिम को नियुक्त कराकर उन्हें मुस्लिम देशों को साधने की ज़िम्मेदारी सौंपी है।

महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत में जिस तरह संघ के आनुषंगिक संगठन खुले मंच पर मुस्लिमो के ख़िलाफ़ हथियार उठाने की बात कर रहे हैं उनके आशियानों पर भाजपानीत सरकारें बुलडोजर चला रहे हैं।हिजाब,अज़ान, नमाज और मस्जिदों पर हमले हो रहे हैं ऐतिहासिक इमारतों को शिवालयों के नाम पर बरगलाया जा रहा है उन सब संगठनों,आई टी सेल वगैरह को भी निशाना बनाया जाना चाहिए वरना इस राग लपेट से काम नहीं बनेगा ।भारत एक ना एक दिन इसकी चपेट में आकर अपना महत्व को देखा।