नई दिल्ली: जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सय्यद अरशद मदनी ने सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा का स्वागत करते हुए एक बयान में कहा कि हमारे किसान भाई इसके लिए बधाई के पात्र हैं, क्योंकि उन्होंने इसके लिए महान बलिदान दिया है। सफलता पर मौलाना मदनी ने कहा कि एक बार फिर सच्चाई सामने आ गई है कि अगर किसी जायज मकसद के लिए ईमानदारी और धैर्य के साथ आंदोलन चलाया जाए तो एक दिन भी बिना सफलता के नहीं जाता है।
उन्होंने कहा, इस सच्चाई से भी इंकार नहीं किया सकता है की किसानों के लिए इतना मजबूत आंदोलन चलाने का रास्ता सीएए के खिलाफ आंदोलन में मिला। महिलाएं और यहां तक कि बुजुर्ग महिलाएं भी दिन-रात सड़कों पर बैठी रहीं, आंदोलन में शामिल होने वालों पर जुल्म के पहाड़ टूट पड़े, आंदोलन में शामिल लोगो पर गंभीर मुकदमे लगाये गये लेकिन आंदोलन को कुचला नहीं जा सका।
हम कृषि कानूनों की वापसी का स्वागत करते हैं,सरकार #CAA को भी वापस ले,किसानों को इस तरह के शक्तिशाली आंदोलन चलाने का रास्ता सीएए के खिलाफ चलाए गये आंदोलन से मिला,इस निर्णय ने साबित कर दिया कि लोकतंत्र और जनता की ताक़त सर्वप्रिय है और लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है।
— Arshad Madani (@ArshadMadani007) November 19, 2021
मौलाना मदनी ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि हमारे देश का संविधान लोकतांत्रिक है, इसलिए यह अपनी जगह पर सही है, इसलिए अब प्रधानमंत्री को मुसलमानों के संबंध में लाए गए कानूनों पर भी ध्यान देना चाहिए, और कृषि कानूनों की तरह। सीएए कानून को भी वापस लिया जाना चाहिए, उन्होंने कहा, हालांकि आंदोलन में शामिल लोग कोरोना के कारण अपने घरों को लौट आए थे, फिर भी वे विरोध कर रहे थे।
मौलाना मदनी ने कहा कि इस फैसले ने साबित कर दिया कि लोकतंत्र और जनता की शक्ति सर्वोपरि है, और लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है, जो सोचते हैं कि सरकार और संसद अधिक शक्तिशाली हैं, लोकतंत्र में असली शक्ति जनता है. लोगों ने एक बार फिर किसानों के रूप में अपनी ताकत साबित की है।उन्होंने कहा कि इस आंदोलन की सफलता यह भी सबक देती है कि किसी भी जन आंदोलन को जबरदस्ती कुचला नहीं जा सकता।