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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अपील ‘दहेज, हल्दी, रतजगा और बारात की रस्म को ख़त्म करें’

लखनऊः महंगी शादियों के मद्देनज़र भारतीय मुसलमानों की धार्मिक संस्था ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने शादी को लेकर एक अपील जारी है। इस अपील में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुसलमानों से शादी ब्याह में होने वाले खर्चों को कम करने का निर्देश दिया है। यह अपील इस्लाहे मुआशरा कमेटी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ़ से जारी हुई है, जिसमें निकाह को आसान बनाने पर ज़ोर दिया गया है।

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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि निकाह को सादा और आसान बनाएं, बेकार रस्म रिवाजों ख़ासतौर पर दहेज की मांग, हल्दी, रतजगा से परहेज़ करें, बारात की रस्म को ख़त्म करते हुए मस्जिद में सादगी के साथ निकाह का तरीक़ा अपनाएं।  निकाह की दावत का एहतेमाम सिर्फ शहर के बाहर के मेहमानों और घर के लोगों के लिए करें, निकाह में शिरकत करें लेकिन निकाह की तक़रीब वाली खाने की दावत से बचें।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुसलमानो को निर्देश देते हुए कहा कि  वलीमा की दावत सादगी के साथ, दौलत की नुमाइश के बग़ैर ग़रीबों और मिस्कीनों का ख़्याल रखते हुए करें।  दावत-ए-वलीमा/निकाह की जिस महफ़िल में सुन्नत व शरीयत का ख़्याल रखा जाए, उसकी ताईद करें इसके ख़िलाफ़ अमल पर भरपूर और साफ़ अंदाज़ में नापसन्दीदगी करें। निकाह या दावत-ए-वलीमा की महफ़िल में आतिशबाजी, गाना बजाना, वीडियो ग्राफी और खेल तमाशे से बचते हुए निकाह के लिए क़ीमती शामियाना और क़ीमती स्टेज का इस्तेमाल ना करें।

मुस्लिम युवाओं को निर्देश देते हुए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि  नौजवान अपने निकाह को सादगी के साथ कम ख़र्च में अंजाम दें, इसके ख़िलाफ़ किसी अंदरूनी दबाव को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करें। निकाह के तय वक़्त की सख़्ती से पाबन्दी करें। निकाह के बाद सुन्नत व शरीयत के मुताबिक़ ख़ुशगवार शादीशुदा ज़िन्दगी गुज़ारेंगे और अपनी बीवी के साथ बेहतर सुलूक करके अल्लाह तआला और उसके पाक रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की रज़ामन्दी हासिल करें। औलाद की नेअमत मिलने पर उसकी बेहतरीन तालीम व तरबियत का एहतेमाम करें और सुन्नत व शरीयत का पाबन्द बनाने की हर मुमकिन कोशिश करें।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपील की है कि तमाम मुसलमानों से  दरख़्वास्त है कि आप ऊपर लिखी गयी बातों का इक़रार करें और उन पर अमल का मिज़ाज बनाएं कि यह शरीयत की पसन्द और वक़्त की अहम ज़रूरत है। यह निर्देश मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सय्यद मुहम्मद राबेअ हसनी नदवी, महासचिव मौलाना सय्यद मुहम्मद वली रहमानी, जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सय्यद अरशद मदनी, किछौछा शरीफ के सज्जादानशीन मौलाना फ़ख़रुद्दीन जीलानी, जमीयत-ए-अहले हदीस हिंद के मौलाना असग़र अली इमाम मेहदी सलफ़ी, जमात-ए-इस्लामी हिंद के आदतउल्लाह हुसैनी, अल्लामा कल्बे जव्वाद नक़वी, मौलाना उबैदुल्लाह ख़ान आज़मी, अल्लामा निसार हुसैन आग़ा की संयुक्त सहमती के साथ जारी की गई है।