लखनऊः बाराबंकी की राम सनेही घाट तहसील में प्रशासन द्वारा ज़मींदोज़ की गई मस्जिद का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। पीस पार्टी के राष्ट्रीय डॉक्टर अय्यूब ने इसे सांप्रदायिक राजनीति से प्रेरित बताया है। उन्होंने कहा कि बाराबंकी में मस्जिद शहीद करने की सरकारी कार्रावाही घोर निंदनीय है। सरकार कोरोना महामारी और बंगाल में अपनी नाकामी से जनता को भटकाने के लिये मस्जिद को शहीद कर धार्मिक कटुता का ज़हर समाज में फैलाने की साज़िश कर रही है।
उन्होंने कहा कि पीस पार्टी इस निंदनीय अपराध के ख़िलाफ़ हर अस्तर पर संघर्ष करेगी। पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बताया कि बाराबंकी मस्जिद शहीद मामले की पूरी जानकारी के लिये पीस पार्टी ने चार सदस्यीय टीम प्रदेश अध्यक्ष संजय गुज़र की अध्यक्षता में गठित की है। इस टीम में मोहम्मद इरफ़ान इंजीनियर, दुष्यंत सिंह चंदेल और मौलाना अखलाक सदस्य होंगे। यह कमेटी लोकल स्तर पर एंवम् न्यायपालिका में इस समस्या का समाधान निकालेगी।
पीस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता इंजीनियर शादाब चौहान ने कहा कि बाराबंकी की मस्जिद आज़ादी से पूर्व की है, जिसे बाराबंकी जिला प्रशासन ने अवैध बताकर शहीद कर दिया। जबकि हाईकोर्ट ने 31 मई तक स्टे दिया था। सवाल ये है कि क्या जिला प्रशासन हाईकोर्ट से भी ऊपर है? इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच हो और मस्जिद फिरसे निर्माण हो।
शादाब चौहान ने कहा कि उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के रामसनेहीघाट में वक्फ बोर्ड में दर्ज मस्जिद को शहीद कर दिया गया प्रशासन द्वारा जबकि वहां के मकामी लोगों का कहना है कि कागज भी मौजूद है क्या ऐसे धर्मस्थल का गिराया जाना उचित है? जिस जायज जमीन पर एक बार मस्जिद कायम हो जाए वह ताउम्र तक मस्जिद रहेगी।
जानकारी के लिये बता दें कि 15 मार्च को प्रशासन ने मस्जिद को अवैध बताते हुए एक नोटिस जारी किया था, इसके मस्जिद में जुमे की नमाज़ बंद करा दी गई, जिसके बाद विवाद हुआ। मस्जिद को खोले जाने के लिये प्रदर्शन करने वाले 35 लोगों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया। इस मामले में एक शख्स पर रासुका भी लगाया गया है। अब 17 मई को प्रशासन द्वारा इस मस्जिद को ज़मींदोज़ कर दिया गया। मस्जिद कमेटी का कहना है कि मस्जिद अवैध नहीं थी, यह मस्जिद क़रीब 100 वर्ष पुरानी थी और उसका बिजली कनेक्शन समेत कई महत्तवपूर्ण दस्तावेज़ हमारे पास मौजूद हैं।