मुनव्वर फारूक़ी के बहाने: जिन्हें लगता है की उनको फ़र्क़ नहीं पड़ेगा वो याद रखें वे भी नहीं बच पाएंगे!

मुनाव्वार फारूकी ने दुखी होकर कॉमेडी को अलविदा कह दिया है. बेंगलुरू में पुनीत राजकुमार के लिए फारुकी का चैरिटी शो था, जिसे पुलिस ने ये कहके रद्द कर दिया कि वो कंट्रोवर्सियल शख्शियत है। अब कँगना से ज्यादा कौन कंट्रोवर्सियल है इस देश में ? और उसे पुलिस प्रोटेक्शन भी देतीं है और सरकार पद्मश्री भी। पिछले 2 महीने में फारुकी के 12 शो केंसिल हुए हैं। फारुकी को महीनों तक जेल में उस जोक के लिए रहना पढ़ा जो उसने किया ही नहीं था। पुलिस अपना काम नहीं कर पा रही तो कलाकार को रोक रही है, अरे शो में जो विघ्न डाले उसे जेल में डालो या कलाकार का काम रोकोगे ? मतलब ये वैसा लौजिक है कि रेप तो होगा इसलिए लड़कियां बाहर निकालना बंद कर दें ?

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फारुकी को मैं शुरुआती दिनों से फॉलो कर रहा हूँ। काफ़ी कम उम्र का मल्टी टेलेंटेड कॉमेडियन है जो रैप भी कर लेता है, अच्छी शायरी भी लिखता है और इंटेलीजेंट जोक्स करता है। पूरे कॉमेडी स्पेस में डार्क ह्यूमर के जोक्स फारुकी जैसा कोई दूसरा मुस्लिम कॉमिक नहीं करता। लड़का अपनी मेहनत से टॉप लिस्ट में आया है। इसके बर्निंग ट्रेन और गुजरात में एक मुस्लिम के सर्वाइवल वाले जोक्स सुनकर ही मैं समझ गया था कि फेमस होते ही इसे टारगेट किया जायेगा।

2013 के समय टीवी पर बाकायदा कॉमेडी शो में केजरीवाल, मनमोहन और बाकी नेताओं का मजाक उड़ाया जाता था। श्याम रंगीला की मोदी-मिमिक्री वाले शो को शूट करने के बाद भी कभी प्रसारित नहीं होने दिया गया। आज इस देश में एक्सप्रेशन की आजादी छिन चुकी है। ये सरकार अंग्रेजों की तरह व्यवहार कर रही है। जिन्हें लगता है की उनको फ़र्क़ नहीं पड़ेगा वो याद रखें जब तक आप उनकी तरफ से गाली दे रहें, उनके लिए फ्री के मजदूर, फ्री के गुंडे बने रहें तभी तक सुरक्षित हैं, जिस दिन खिलाफ बोला उस दिन टांग दिए जाओगे.

इस घटना के कई पहलू हैं.. सारे कॉमेडियन मर गए हैं क्या? वो क्यों साथ नहीं आ रहे ? सचिन तेंदुलकर से अक्षय कुमार तक भारत को तोड़ने वाली शख्सयतों की बात करते थे आज एक कलाकार का साथ क्यों नहीं दे रहें? पत्रकार लोग इस पर आवाज़ क्यों नहीं उठा रहें?

आज फारुकी ने बड़ा डिप्रेशिंग पोस्ट लिखकर कॉमेडी को अलविदा कहा है। कल अगर ये लड़का सुसाइड कर ले तो कौन जिम्मेदार होगा ? क्या ये समाज की जिम्मेदारी नहीं है की वो कलाकारों के हितों को सुरक्षित करेँ ? वर्ना आप में और तालिबानियों में फ़र्क़ ही क्या बचा फिर ?

फारुकी ने अंत में लिखा है :

“इनकी नफरतों का बहाना बन गया हूँ,
हंसा कर कितनो का सहारा बन गया हूँ!
टूटने पे इनकी ख्वाहिश होंगी पूरी
सही कहते हैं, मैं सितारा बन गया हूँ!!

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)