नई दिल्ली: एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मध्य प्रदेश के खरगोन में सांप्रदायिक हिंसा के फैलने के बाद मुसलमानों के मकान एंव दुकानों को “अवैध” बताकर विध्वंस किये जाने की निंदा की है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मध्यप्रदेश प्रशासन से संविधान विरोधी अभियान को समाप्त करने का आग्रह किया। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इसे रेखांकित किया कि इस तरह की दंडात्मक कार्रवाई सामूहिक दंड के रूप में भी हो सकती है जो अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का उल्लंघन है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के बोर्ड के अध्यक्ष आकार पटेल ने खरगोन में बड़े पैमाने पर मुस्लिम-स्वामित्व वाली दुकानों और घरों के विध्वंस की रिपोर्ट के जवाब में कहा “पिछले कुछ दिनों में, देश ने मुस्लिम विरोधी हमलों और अभद्र भाषा से संबंधित परेशान करने वाली घटनाओं को देखा गया है। इसके अलाना कथित तौर पर बिना किसी सूचना या अन्य उचित प्रक्रिया के दंगा करने के संदेह में लोगों की निजी संपत्ति को ध्वस्त करने की अधिकारियों की गैरकानूनी कार्रवाई कानून के शासन के लिए एक बड़ा झटका है। ध्वस्त की गई अधिकांश संपत्तियों का स्वामित्व मुसलमानों के पास है। संदिग्धों के परिवार के घरों का इस तरह का दंडात्मक विध्वंस अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का उल्लंघन करते हुए सामूहिक दंड के रूप में भी हो सकता है।
आकार पटेल ने कि वे तत्काल विध्वंस की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच करें। उन्होंने कहा “अधिकारियों को तत्काल विध्वंस की गहन, निष्पक्ष और पारदर्शी जांच करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हिंसा और बर्बरता के लिए जिम्मेदार लोगों को निष्पक्ष परीक्षण के माध्यम से न्याय के लिए लाया जाए। पीड़ितों को प्रभावी उपाय उपलब्ध कराया जाना चाहिए। राज्य का यह कर्तव्य है कि वह अल्पसंख्यक समुदायों सहित अपने अधिकार क्षेत्र के सभी लोगों की रक्षा करे।”
क्या हुआ था खरगोन में.
11 अप्रैल को, मध्य प्रदेश के खरगोन शहर में रामनवमी समारोह के दौरान कथित तौर पर एक मस्जिद के पास भड़काऊ नारे लगाने के बाद कर्फ्यू लागू कर दिया गया था, जिसके कारण दंगा, पथराव और हिंसा हुई थी। जवाब में राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मीडिया को बताया कि दंगाइयों की पहचान कर ली गई है और कहा कि उनके खिलाफ की गई कार्रवाई “केवल गिरफ्तारी तक सीमित नहीं होगी, नुकसान की वसूली (उनकी) निजी या सार्वजनिक संपत्ति से की जाएगी।”
इस हिंसक घटना के 24 घंटे से भी कम समय में स्थानीय अधिकारियों ने मुसलमानों की संपत्तियों और घरों को ध्वस्त करना शुरू कर दिया। इन पर आरोप लगाया कि ये लोग हिंसा में शामिल थे। जिनके मकान तोड़े गए हैं उनमें से अधिकांश आर्थिक रूप मुस्लिम परिवारों से थे। ऐसा भी मामला सामने आया कि जो लोग किसी अन्य अपराध के मामले में पहले से ही जेल में हैं, उन पर भी हिंसा में शामिल होने का आरोप लगाते हुए उनके मकानों को तोड़ दिया।