अमीर उल हिंद मौलाना अरशद मदनी की अपील ‘मदरसों में शुरु करें दारुल कज़ा का कोर्स’

नई दिल्लीः जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने मदरसों में दारुल कज़ा को अनिवार्य बनाने की अपील की है। दिल्ली स्थित जमीयत उलमा-ए-हिंद के मुख्यालय पर आयोजित इमरात-ए-शरिया ए हिंद की बैठक में उन्होंने कहा कि आज इस बात की अति आवश्यकता है कि देश के कोने कोने में शरिया के विभाग स्थापित किए जाएं और इमारत की व्यवस्था को राज्य स्तर पर मजबूत किया जाए। उन्होंने कहा कि मैं सभी मदरसे वालों से अपील करता हूं कि वह अपने अपने मदरसों में दारुल कज़ा का कोर्स शुरू करें और फिर उसमें प्रवेश लिए विधार्थीयों को पूरा प्रशिक्षण देकर शरिया विभाग में नियुक्त करें।

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बता दें कि दिल्ली स्थित जमीयत उलमा-ए-हिंद के मुख्यालय पर शनिवार को इमारत ए शरिया ए हिंद की बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में अमीर उल हिंद का चुनाव हुआ जिसमें मौलाना अरशद मदनी को पांचवा अमीर उल हिंद चुना गया है। उनके नाम का प्रस्ताव मौलाना महमूद मदनी द्वारा रखा गया था, जिसे बैठक में मौजूद उलमाओं ने सर्वसम्मित से स्वीकार कर लिया। जानकारी के लिये बता दें कि मौलाना अरशद मदनी से पहले क़ारी सैय्यद उस्मान मंसूरपुरी अमीर उल हिंद थे, लेकिन उनका 21 मई को बीमारी के चलते निधन हो गया था। अब इस पद पर मौलाना अरशद मदनी की ताज़पोशी हुई है।

क्या बोले अरशद मदनी

नवनिर्वाचितअमीरुल हिंद मौलाना अरशद मदनी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि इस्लाम में इमारत का बहुत बड़ा स्थान है। उन्होंने कहा कि जमीयत उलमा ए हिंद की स्थापना के सिर्फ एक साल बाद 1920 ईस्वी में हज़रत शेख उल हिंद मौलाना महमूद हसन देवबंदी माल्टा से वापस आए तो आपको जमीयत उलमा ए हिंद का स्थाई अध्यक्ष चयनित किया गया। इसलिए आपकी अध्यक्षता में जमीयत उलमा ए हिंद का दूसरा सम्मेलन आयोजित हुआ। इसमें शैखुल हिंद ने राष्ट्रीय स्तर पर अमीर उल हिंद के चुनाव का प्रस्ताव पेश किया। बाद में सिर्फ 12 दिन बाद हज़रत का इंतकाल हो गया तो उनके उत्तराधिकारी हज़रत शेखुल इस्लाम मौलाना सैयद हुसैन अहमद मदनी ने इस मिशन को आगे बढ़ाया। लेकिन कुछ कारणों से इस वक्त यह काम आगे नहीं बढ़ पाया। बाद में हज़रत फिदा ए मिल्लत मौलाना सैयद असद मदनी को तौफीक बख्शी, जिनके नेतृत्व में इमारत ए शरिया हिंद की स्थापना हुई।

उन्होंने बताया कि आज इमारत शरिया हिंद के तहत 100 से अधिक शरिया महकमे चल रहे हैं। मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि आज इस बात की अति आवश्यकता है कि देश के कोने कोने में शरिया के विभाग स्थापित किए जाएं और इमारत की व्यवस्था को राज्य स्तर पर मजबूत किया जाए। इस अवसर पर सभी मदरसे वालों से अपील करता हूं कि वह अपने अपने मदरसों में दारुल कज़ा का कोर्स शुरू करें और फिर  उसमें प्रवेश लिए विधार्थीयों को पूरा प्रशिक्षण देकर शरिया विभाग में नियुक्त करें। मौलाना अरशद मदनी ने अपने विशेष अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए मुफ़्ती सैयद मोहम्मद सलमान मंसूरपुरी उस्ताद व हदीस जामिया कासमियां शाही मुरादाबाद, महासचिव केंद्रीय दीनी तालीमी बोर्ड जमीयत उलमा ए हिंद को नायब (उप) अमीरुल हिंद बनाए जाने का भी एलान किया। जिसका उपस्थित लोगों ने समर्थन किया।

इससे पूर्व इमारत ए शरिया का परिचय प्रस्तुत करते हुए मौलाना मुफ़्ती सैयद मोहम्मद सलमान मंसूरपुरी ने कहा कि दुनिया की व्यवस्था में दो विभागों की बड़ी महत्ता है एक तो सरकारी विभाग है और दूसरा न्यायालय का। न्यायालय का काम यह है कि वह फैसला करें कि कौन हक(न्याय) पर है और कौन नाहक(अन्याय) है। अब न्यायालय के तहत भी दो मामले आते हैं एक फौजदारी का मामला तो दूसरा सिविल मामले। फौजदारी के मामलों के लिए सशक्त बल की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि जब तक हमारे देश में इस्लामी शासन स्थापित था तो कोई मसला नहीं था लेकिन जब से मुसलमानों का शासनकाल खत्म हो गया तो हमारे महापुरुषों और बुजुर्गों के प्रयासों से देश के कुछ भागों में काज़ी को अधिकार दिए गए। लेकिन केंद्रीय तौर पर इसे आधिकारिक स्वीकृति नहीं मिली। ऐसी स्थिति में हमारे महापुरुषों ने शरियत के मामलों में कई तरह की कोशिशें कीं। विशेष रुप से औरतों को अपने अत्याचारी पति से छुटकारे के लिए हज़रत मौलाना अशरफ अली थानवी रह. की किताब “अल हि लतुन  नाजज़ह” की रोशनी में महकमा ए शरिया (शरअई पंचायत) का प्रबंध जारी किया गया।