नई दिल्लीः केंद्र सरकार द्वारा बीते वर्ष बनाए गए तीन कृषि क़ानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन लगातार जारी है। देश की राजधानी दिल्ली से सटी सीमाओं पर बीते 200 दिन से भी ज्यादा समय से किसान आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन अभी तक सरकार और किसान नेताओं के बीच बात नहीं बनी है। किसान तीनों कृषि कानून रद्द करने के साथ-साथ एमएसपी पर क़ानून बनाने अपनी मांग पर आड़े हुए हैं।
सरकार की ओर से भी अब किसान आंदोलन पर अब कोई प्रतिक्रिया नहीं आ रही है। इसी बीच भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने ट्वीट कर आंदोलन को तेज करने की बात कही है। राकेश टिकैत ने ट्वीट करते हुए लिखा “सरकार मानने वाली नहीं है। इलाज तो करना पड़ेगा। ट्रैक्टरों के साथ अपनी तैयारी रखो। जमीन बचाने के लिए आंदोलन तेज करना होगा।”
एक रोज़ पहले ही राकेश टिकैत ने कहा था कि केंद्र सरकार यह गलतफहमी अपने दिमाग से निकाल दे कि किसान वापस जाएगा। किसान तभी वापस जाएगा, जब मांगें पूरी हो जाएंगी। हमारी मांग है कि तीनों कानून रद्द हों। एमएसपी पर कानून बने। जानकारी के लिये बता दें कि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कुछ दिन पहले कहा था कि सरकार किसानों से बातचीत करने के लिए तैयार है। लेकिन कानून रद्द नहीं किए जाएंगे। तोमर ने कहा था कि यदि किसान किसी भी तरह का संशोधन चाहते हैं तो फिर मैं उसका स्वागत करूंगा। लेकिन कानून रद्द नहीं होंगे।
बता दें कि बीते वर्ष केंद्र सरकार तीन कृषि सुधार क़ानून संसद द्वारा बनाए गए थे, इन क़ानूनों के ख़िलाफ भाजपा की सहयोगी शिरोमणी अकाली दल और राजस्थान की हनुमान बेनीवाल पार्टी आरएलएसपी ने एनडीए से गठबंधन खत्म कर लिया था। लेकिन इसके बावजूद केंद्र सरकार किसानों की मांग मानने के लिये तैयार नहीं है।