दीपक असीम
यूक्रेन के नागरिकों को बचाने के लिए और यूक्रेन की सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट होने से रोकने के लिए उसके राष्ट्रपति व्लादीमीर जेलेंस्की को फौरन इस्तीफा देना चाहिए और रूस के समक्ष समर्पण कर देना चाहिए। साथ ही अपने देश को इस गंभीर संकट में डाल देने के लिए अपने देशवासियों से माफी मांगना चाहिए। यूक्रेन के राष्ट्रपति की गलती यह है कि उन्होंने गलत लोगों पर भरोसा किया और उन बातों को समझ नहीं पाए जो एक आम नागरिक भी समझता है। वे अमेरिका के आश्वासनों के भरोसे रहे और नेटो ने भी उन्हें लटकाए रखा।
वे समझ रहे थे कि जब रूस हमला करेगा तो अमेरिका मदद करेगा, नेटो की सेना मदद के लिए आएगी, मगर अब सबने हाथ खड़े कर दिये हैं। रूस की सेना यूक्रेन की सेना से अठारह गुना ताकतवर है और पुतिन की चालाकियों के सामने जेलेंस्की पासंग भी नहीं हैं। उन्हें कोई हक नहीं है कि वे अपने देश के राष्ट्रपति बने रहें और बार बार यह ऐलान करें कि यूक्रेन झुकेगा नहीं, समर्पण नहीं करेगा।
असल में यूक्रेन के पास कोई विकल्प नहीं है। रूस की सेना अंदर तक घुस चुकी है और लगातार घुस रही है। बाहर से किसी तरह की मदद की कोई आस नहीं है। यूक्रेन ने मार्शल लॉ लगा कर अपने नागरिकों को हथियार उठाने के लिए आजाद कर दिया है, मगर रूस की प्रशिक्षित फौज के आगे आम नागरिक क्या हथियार से लड़ सकता है? यह तो अपने नागरिकों को मरवाने वाली बात हुई। जेलेंस्की को पता होना चाहिए था कि अमेरिका वियतनाम में सेना भेज कर पछताया, ईराक में सेना भेजकर पछताया और अभी हाल में ही अफगानिस्तान से उसकी सेनाएं अपमानित होकर और एक तरह से हारकर लौटी हैं। जो अमेरिका तालिबान के सामने घुटने टेक कर भाग सकता है, वो रूस का मुकाबला क्या खाकर करेगा, सो भी यूक्रेन में यूक्रेन के लिए।
जेलेंस्की को स्थिति भांपते हुए तभी समर्पण कर देना था जब अमेरिका ने अपनी सेना उतारने से इंकार किया था और रूसी सेनाएं सीमा तक आ गई थीं। उसके गुप्तचर विभाग को पता होना चाहिए था कि जैसे ही ठंड खत्म होने लगेगी, रूस अटैक करेगा। हमला होने के बाद यूक्रेन के राजदूत दूसरे देशों से बचाव और मदद की भीख मांग रहे हैं, जो किसी भी संप्रभु देश के लिए पराजय से ज्यादा अपमानजनक है। यूक्रेन का हश्र देखकर दूसरे देशों को समझ जाना चाहिए कि उन्हें अब अमेरिका का मोहरा नहीं बनना है। अमेरिका बातों का धनी है। आर्थिक पाबंदियों और बैंक वगैरह से लेन-देन बंद करने से किसी देश का बाल बांका नहीं किया जा सकता। अपने देश को इस स्थिति में डालने के लिए ज़ेलेंस्की की नासमझी जिम्मेदार है। सैकड़ों लोगों की मौत पुतिन के सिर बाद में और जेलेंस्की के सिर पहले है।
(लेखक वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)