अशोक पांडे
तस्वीर में चार्ली चैप्लिन न्यूयॉर्क की वॉल स्ट्रीट में सब-ट्रेज़री बिल्डिंग के आगे लिबर्टी लोन का प्रचार कर रहे हैं. पहले विश्वयुद्ध के समय अमेरिकी सरकार ने मित्र देशों की सहायता के लिए लिबर्टी लोन नाम के बॉन्ड बाज़ार में पेश किए थे. इस लोन में पैसा लगाने का मतलब देशभक्ति का प्रमाणपत्र हासिल करने जैसा हुआ करता था. समूची वॉल स्ट्रीट को रिझाने के लिए अमेरिकी सरकार ने उनकी सेवाएं ली थीं. फ़ोटो 1918 का है.
चालीस साल तक अमेरिका में रहने के बावजूद चार्ली चैप्लिन ने वहां की नागरिकता नहीं ली. 1952 में इसी अमेरिकी सरकार ने चार्ली की पूंजीवाद-विरोधी राजनैतिक सोच को अपने देश के लिए खतरा बताया और उन के अमेरिका में रहने पर बैन लगा दिया. चार्ली को देश छोड़ स्विट्ज़रलैंड जाना पड़ा. वहीं 1977 में उनकी मृत्यु भी हुई.
लूट-खसोट और अपराध की बुनियाद पर बसाए गए अमेरिका की सरकारों को चार्ली एक मसखरे के रूप में तो स्वीकार था लेकिन जैसे ही उसने गरीब जनता जनता के पक्ष में सोचना और सवाल करना शुरू किया, अपने चहेते और शताब्दी के सबसे बड़े महानायक को दूध में गिरी मक्खी की तरह फेंक देने में उन्हीं सरकारों ने मिनट नहीं लगाया.