नई दिल्लीः कांग्रेस की तेजतर्रार नेता एंव पूर्व विधायक अलका लांबा ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर निशना साधा है। अलका लांबा ने आज एक प्रेस कांफ्रेंस में केजरीवाल सरकार की नीयत पर सवाल उठाए हैं। पत्रकारों से बात करते हुए अलका ने कहा कि जब नीति आयोग ने केन्द्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि सुधार क़ानूनों पर दिल्ली सरकार से फीडबैक मांगा तो केजरीवाल सरकार ने इन क़ानूनों को किसानों के हित में बताया। इतना ही नहीं उन्होंने इन क़ानूनों को सबसे पहले दिल्ली में लागू किया।
अलका लांबा ने कहा कि 26 जनवरी को किसान आंदोलन में हिंसा भड़काने के आरोपी भाजपा कार्यकर्ता दीप सिद्धू पर भी केजरीवाल सरकार अपना रुख स्पष्ट नहीं कर पाई है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में तब्लीग़ी जमात के मरकज़ पर मुकदमा दर्ज कराने वाली केजरीवाल सरकार दिल्ली में हिंसा भड़काने वाले दीप सिद्धू पर ज़ुबां क्यों नहीं खोल रही है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष किसान आंदोलन में होने वाली हिंसा पर केजरीवाल की चुप्पी पहली बार नहीं है बल्कि बीते वर्ष जब दिल्ली में दंगे हुए तो उस वक्त भी अरविंद केजरीवाल तमाशबीन बने रहे, और चुप्पी साधे रखी।
कांग्रेस नेत्री अलका लांबा ने कहा कि “किसानों आंदोलन को मात्र सत्ता तक पहुँचने की सीढ़ी ही समझ लेने वाले अरविंद केजरीवाल अपने ‘कथित’ मूल्यों और किये गए वायदों से समझौता इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उनकी आम आदमी पार्टी अब भाजपा की ‘B’ टीम में रूपांतरित हो चुकी है !” अलका लांबा ने कहा कि केजरीवा ने पंजाब के मुख्यमंत्री को तो लव लैटर लिखा लेकिन हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को लव लैटर क्यों नहीं लिखा। उन्होंने सवाल किया कि आखिर आपका सारा का सारा ध्यान पंजाब पर ही क्यों है? जबकि पंजाब सरकार पहले दिन से ही किसान आंदोलन के साथ है।
अलका ने सवाल किया कि आखिर आपके 62 विधायक कहां हैं? उन्होंने कहा कि क्यों नहीं आपके सारे विधायक अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में जाकर किसान आंदोलन के समर्थन में जनता को जागरुक नहीं कर रहे हैं। अलका ने कहा कि आम आदमी पार्टी के तमाम विधायक अलग अलग राज्यों में भेज दिये गए हैं, जिसमें से कुछ यूपी, उत्तराखंड, और गोआ में जाकर चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। अलका ने ज़ोर देते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल को किसान आंदोलन को पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।