राजीव रंजन सिंह
आज़मगढ़ की निज़ामाबाद सीट से आलम बदी नें पांचवी बार जीत दर्ज की है। आज़मगढ़ में सपा ने सारीं सीटें जीतीं वहां सबसे ज़्यादा वोटों से जीतने वाले विधायक आलम बदी हैं। वे पाँचवीं बार जीते हैं, इन चुनावों के दौरान जब भी फ़ोन पर बात हुई , बोलते थे इस बार क्षेत्र में भी नहीं जाने का मन हो रहा। वोटर भी कह रहे इस उम्र में वोट माँगने की ज़रूरत नहीं, आप घर पर आराम करो। आलम बदी 85 बरस के है, एक अंडा, एक गिलास दूध, एक रोटी और एक मौसमी फल इनका दिन भर का आहार है।
अब तक के चुनाव भी एक डेढ़ लाख रूपये खर्च कर जीतते रहे हैं। चार पाँच सौ रूपये के चार पाँच कुर्ते पायजामें होंगे, बीस साल विधायक रहने के बाद भी न कभी नई कार ख़रीद पाए और न नया घर बनवा पाए। ईमानदार शब्द आलम बदी के सामने बौना है। आज तक किसी की लहर इनके इलाक़े में न चली न चलेगी। एक बार चुनाव हार गए, हार के अगले दिन ही क्षेत्र के यादव गाँव में पहुँच गए।
एक बाहुबली यादव जिसने बीएसपी से चुनाव लड़ा था इन्हें हरा दिया, उस गाँव के यादव परिवार की औरतें इन्हें देखते ही दहाड़ मार के रोने लगीं। बोला चाचा हमने आपको वोट नहीं दिया लेकिन क़सम से नहीं जानते थे आप हार जाएँगे, और उन्हें पकड़ के कहने लगी अब क्या होगा, अब गलती कैसे सुधरेगी, आलम बदी ने कहा कोई नहीं हम तो यही हैं, हार जीत लगी रहती है।
दरअसल पूरे पाँच साल आलम बदी सुबह नौ बजे से लेकर शाम पाँच बजे तक विधानसभा क्षेत्र में रहते है। औसतन हर दो महीने में वो हर गाँव पहुँच जाते हैं। उन्हें हर गाँव की सड़क, लाइट, ट्यूबवेल समस्या सब पता है। निजी काम तो किसी बिरले का ही किया या कराया होगा। ग़लत काम के लिए सिफ़ारिश करनी हो तो अधिकारियों को अंग्रेज़ी में चिट्ठी लिख देते हैं। पर कमाल देखिए लगातार जीत रहे है। समाजवादी पार्टी के बड़े लोगों के सामने उनका ज़िक्र कर दीजिए तो मुँह का ज़ायक़ा ख़राब हो जाता है।
आलम बदी हमेशा कहते हैं सियासत सेवा है पर सब यहाँ मेवा के चक्कर में। चुनाव को मेले की तरह जो लेते हैं उनकी दुकान मेले वाली दुकानों की तरह ही हैं। मुझे घर के नाम से पुकारते हैं। बातचीत में हमेशा कहते हैं कि संघ से लड़ने के लिए उनसे बड़ा सेवक बनना पड़ेगा। तीन महीने की हौ हौ और हुड़दंग से शोर तो होता है सीट नहीं मिलती। इस बार चुनाव से पहले विधानसभा में एक दर्जन बीजेपी विधायकों ने इनको घेर लिया। बोला चाचा जीतने का मंत्र बताओ। तो उन्होंने कहा इस बार जीत के आओ। अगली विधानसभा के पहले सत्र में बताऊँगा। पता चला उनमें दस हार गए। जो दो जीते हैं वो भी इनके रास्ते पर कहाँ चलने वाले।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, और न्यूज़ 24 में कार्यरत हैं)