हलाल भोजन का इंतज़ाम करती है टीम, कभी नहीं हुआ भेदभाव : ऐजाज़ पटेल

मुंबई में जन्में न्यूजीलैंड के लेफ्ट आर्म स्पिन गेंदबाज एजाज पटेल के लिए पिछले कुछ दिन सपनों के साकार होने जैसे रहे। एजाज ने भारत के खिलाफ मुंबई में खेले गए सीरीज के दूसरे और आखिरी टेस्ट की पहली पारी के सभी 10 विकेट लेकर इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में अपना नाम दर्ज करा लिया।

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33 वर्षीय इस गेंदबाज को अभी भी विश्वास नहीं हो रहा कि उन्होंने वर्ल्ड रिकॉर्ड की बराबरी की है। न्यूजीलैंड लौटने से पहले एजाज ने मंगलवार को संवाददाताओं से खुलकर बातचीत की और कहा कि इससे न्यूजीलैंड के युवा गेंदबाजों को प्रेरणा मिलेगी।

नस्लवाद पर टिप्पणी

ऐजाज ने इस मौके पर नस्लवाद और 2019 में क्राइस्टचर्च में मस्जिद पर हुए आतंकवादी हमले के बारे में भी बात की। ऐसे समय में जब ब्रिटिश एशियाई क्रिकेटर अजीम रफीक की ओर से लगाए गए नस्लवाद के आरोपों से इंग्लैंड के क्रिकेट में भूचाल आया है तब ऐजाज ने कहा कि न्यूजीलैंड में उन्हें कभी भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा।

बकौल एजाज, ‘हम अब एक खेल के नजरिए से विविधता और नस्लवाद के बारे में बात करते हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह कुछ ऐसा है जिसने मुझे विशेष रूप से मेरी संस्कृति में इतना प्रभावित किया है। मैंने वास्तव में अपनी यात्रा के दौरान न्यूजीलैंड में काफी सहज महसूस किया है। जैसे ही मैं आया, मैं ब्लैककैप्स (न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम) के वातावरण की तुलना में बहुत आभारी हूं और वह मेरी संस्कृति, मेरी मान्यताओं का बहुत सम्मान करते हैं, जैसे कि अगर मुझे हलाल भोजन की आवश्यकता होती है, तो वे इसे कहीं से भी मंगवाएंगे।’

पड़ोसियों का मिला समर्थन

इस बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाज ने क्राइस्टचर्च हमले के बाद अपने पड़ोसियों से मिले समर्थन को भी याद किया। एजाज ने कहा, ‘ जो आतंकवादी हमला हुआ था उसमें निश्विचततौर पर हमारी मुस्लिम कम्यूनिटी पर बहुत प्रभाव पड़ा था। काफी घबराहट वाला मौसम था। जुम्मा का दिन था। हम उस समय शुक्रवार को नमाज पढ़कर घर आए थे। फिर न्यूज निकला। लेकिन जिस तरह से हमारी सरकार ने इसे और पूरे समुदाय को संभाला, उससे हमें बहुत प्यार मिला।’

बकौल एजाज, ‘ जैसे मेरी मम्मी अगर घर से बुर्का पहनकर निकलेगी, तो उसमें कोई दिक्कत नहीं है। वो बिंदास घूम सकती है। कोई कुछ नहीं बोलेगा। जो पड़ोसी हैं, जब आतंकवादी हमला हुआ था और हमारा नया घर बन रहा था, तब हमारे नए पड़ोसी , जो शिफ्ट भी नहीं हुआ, उन्होंने हमें आते जाते देखा, बुर्का में तो सोचे मुसलमाल होंगे। जब हमला हुआ, वो एक पौधा लाकर रखे सीढ़ियों पर जबकि हम वहां रहते नहीं। और उन्होंने हमको चिट्ठी लिखककर रखा कि हम आपके सपॉर्ट में हैं। तो जैसे वहां लोग रहते हैं मिलजुलकर, उस तरह से मेरे को दिल में यहीं है कि एक कम्युनिटी है।

एक तेज गेंदबाज के रूप में बड़े हो रहे ऐजाज की प्रतिभा तभी दिखाई दी जब उन्होंने स्पिन गेंदबाजी करना शुरू किया। पांच फीट छह इंच के इस क्रिकेटर ने महसूस किया कि वह बतौर तेज गेंदबाज अच्छा नहीं कर सकेंगे जिससे उन्होंने 20 साल की उम्र के बाद स्पिन गेंदबाजी पर ध्यान लगाना शुरू किया। जब उनके माता पिता ने 1996 में मुंबई के जोगेश्वरी से न्यूजीलैंड जाने का फैसला किया था तो वह केवल आठ वर्ष के थे। नए माहौल में उन्हें इस खेल से लगाव हो गया और वह खुद के लिए नाम कमाने की कोशिश में जुट गए।

भारत से न्यूजीलैंड में बसने के बाद ऐजाज पटेल को क्रिकेट से लगाव हो गया पर तेज गेंदबाजी को छोड़ स्पिन गेंदबाजी करने से उनके लिए खेल के शीर्ष स्तर में प्रवेश का रास्ता तैयार हुआ। न्यूजीलैंड में बसना और स्पिन गेंदबाजी करना दोनों ही ऐजाज के लिए कारगर रहे और वह टेस्ट क्रिकेट के 144 साल लंबे इतिहास में एक पारी में सभी 10 विकेट चटकाने वाले तीसरे गेंदबाज बन गए।

सभार नवभारत टाइम्स