नई दिल्ली: अहमदाबाद में 2008 में हुए सीरियल ब्लास्ट केस में मंगलवार को अहमदाबाद की सिविल सेशन कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 77 आरोपियों में से 49 को दोषी माना है. जबकि 28 लोगों को निर्दोष करार किया गया है। बम धमाकों के मामले में अदालत ने 28 मुस्लिम युवकों को बरी करने का फैसला दिया है, जिसका जमीअत उलमा हिंद के प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी ने स्वागत करते हुए पुलिस पर मामले में सुस्ती करने और देरी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस की सुस्ती का निर्दोष लोगों को खामियाजा भुगतना पड़ता, इन युवकों के 13 कीमती साल कौन लौट आएगा और इनकी जिंदगी बर्बाद करने का कौन जिम्मेदार है यह एक बड़ा प्रश्न है।
मौलाना सैयद अरशद मदनी ने मंगलवार को जारी अपने एक बयान में कहा कि आज सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन बेगुनाहों के 13 साल के कीमती जीवन के नुकसान की भरपाई कौन करेगा, और इसके लिए कौन जिम्मेदार है। इस प्रकार के मामलों का एक निश्चित समयावधि में निर्णय क्यों नहीं किया जाता है। जब तक इन सभी सवालों का जवाब नहीं दिया जाता, तब तक ऐसे बेगुनाह लोगों को सालों सलाखों के पीछे रहना पड़ेगा।
मौलाना मदनी ने कहा कि 28 लोगों का बरी होना इस बात का एक और स्पष्ट प्रमाण है कि कैसे पक्षपाती जांच एजेंसियां और अधिकारी निर्दोष मुस्लिमों और उनके भविष्य को फर्जी आतंकवाद के मामलों में फंसाकर नष्ट कर रहे हैं। जबकि हम लगातार मांग कर रहे हैं कि मासूम युवाओं की जिंदगी से खिलवाड़ करने के लिए पुलिस को जवाबदेह ठहराया जाए।
उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक ताकतें मुसलमानों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक विकास के खिलाफ हैं। युवाओं के जीवन को तबाह करने के लिए आतंकवाद को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। मौलाना मदनी ने कहा कि न्यायिक व्यवस्था में तेजी लाना समय की मांग है। दुनिया के कई देशों में एक निश्चित अवधि के भीतर किसी मामले को बंद करने का कानून है, लेकिन हमारे पास ऐसा कोई विशेष कानून नहीं है।