समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन का आज निधन हो गया। अहमद हसन 88 साल के थे। पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। उनका इलाज लखनऊ के लोहिया संस्थान में चल रहा था, जहां उन्होंने आज अंतिम सांस ली। अहमद हसन अखिलेश की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने आईपीएस से रिटायरमेंट के बाद राजनीति में कदम रखा था। सियासी गलियारों के जानकार बताते हैं कि अहमद हसन को मुलायम सिंह यादव राजनीति में लाए थे।
सप्ताह भर से अस्पताल में भर्ती थे
अहमद हसन, डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्वेदिक संस्थान की क्रिटिकल केयर यूनिट भर्ती थे। जहां डॉ. दीपक मालवीय और अन्य डॉक्टरों की देख-रेख में उनका इलाज चल रहा था। डॉक्टर मालवीय ने बताया, अहमद हसन को फैक्चर होने पर भर्ती कराया गया था।
डॉक्टरों के मुताबिक़ इलाज के दौरान उनकी तबीयत तेजी से बिगड़ती गई, जिससे उन्हें क्रिटिकल केयर यूनिट में शिफ्ट किया गया। डायलिसिस भी शुक्रवार को कराई गई थी। संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डॉ विक्रम सिंह ने बताया, सात दिन पहले हसन को भर्ती कराया गया था। लेकिन आज सुबह 11:00 बजे वे जिंदगी की जंग हार गए, और उन्होंने अंतिम सांस ली।
सियासी गलियारे में शोक की लहर
अहमद हसन के निधन पर सपा अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा, ‘आज हमने एक ईमानदार नेता खोया है। अहमद हसन ने नेताजी मुलायम सिंह यादव के साथ राजनीति शुरू की थी’। वहीं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी विधान परिषद में नेता विरोधी दल अहमद हसन के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
अंबेडकरनगर के रहने वाले थे हसन
अहमद हसन अंबेडकरनगर के जलालपुर तहसील के दलाल टोला के मूल निवासी थे। आईपीएस अफसर से नेता बने तो अहमद हसन की पहचान ईमानदार नेता के तौर पर होती थी। यही वह वजह है कि पहले वह सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के खास हुआ करते थे। मुलायम सिंह यादव जब मुख्यमंत्री बने तो अहमद हसन उनकी कैबिनेट में मंत्री बने। 2012 में जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने तो अहमद हसन उनके साथ भी कैबिनेट मंत्री बने।
विधानसभा सत्र के समय बिगड़ी थी तबीयत
जानकारी के लिये बता दें कि बीते वर्ष 17 दिसंबर 2021 को विधानसभा सत्र के दौरान अहमद हसन की तबीयत बिगड़ी थी। मुख्यमंत्री योगी के अस्पताल पहुंचकर अहमद हसन का हाल-चाल लिया था। जिसके बाद से लगातार अहमद हसन की तबीयत खराब चल रही थी।
अहमद हसन की उपलब्धियों पर एक नजर
राजनीति में आने के बाद अहमद हसन 1994 में उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग का चेयरमैन बने थे। इसके बाद 1997 वे विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष बने। 2003 में जब मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री तो उन्होंने अपनी कैबिनेट में अहमद हसन को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग का मंत्री बनाया। साल 2012 में जब अखिलेश यादव ने मुख्यंत्री की पद की शपथ ली तो एक बार फिर अहमद हसन को स्वास्थ्य मंत्री बनाया, और 2015 में बेसिक शिक्षा विभाग के मंत्री की जिम्मेदारी भी अहमद हसन को दे दी गई। 2017 में अहमद हसन को सदन में नेता प्रतिपक्ष बनाया गया।