हर अँधेरी रात के बाद नया सवेरा होता है।

मौलाना मुहम्मद उमरैन महफ़ूज़ रह़मानी

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मस्जिदों से प्यार करना, उनको आबाद रखने की चिंता करना और उनमें नेक काम करना मुसलमानों की बुनियादी ज़िम्मेदारी है। मस्जिदों से मुहब्बत करना ईमान की निशानी है, हदीस शरीफ़ में है कि जब तुम किसी को मस्जिद में आता हुआ देखो तो उसके ईमान वाले होने की गवाही दो, मस्जिद से जुड़े हुए छोटे से छोटे अमल पर भी अजर ओ सवाब रखा गया है, चुनांचे नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: मेरी उम्मत के आमाल मेरे सामने पेश किये गए तो मैंने यह देखा कि मेरी उम्मत के किसी व्यक्ति ने मस्जिद से तिनका उठा कर बाहर डाल दिया, उसका सवाब भी उसके आमालनामा में लिख दिया गया, मस्जिद के निर्माण में हिस्सा लेने पर भी बड़ा सवाब रखा गया है।

मौजूदा दौर में मुसलमानों पर अनिवार्य है कि वे मस्जिदों से अपने सम्बन्धों को मज़बूत करें, उनको ज़्यादा से ज़्यादा आबाद करने की चिन्ता करें और इस समय मस्जिदों के सिलसिले में जो नफ़रत परोसी जा रही है और जिस प्रकार कुछ मस्जिदों पर क़ब्ज़े का दुस्साहस किया जा रहा है, ऐसी विकट स्थिति में मस्जिद की सुरक्षा और हर प्रकार की बुराई से उनको सुरक्षित रखने का प्रयास अत्यावश्यक है, सुनियोजित ढंग से साम्प्रदायिक शक्तियाँ ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा ईदगाह और शाहजहाँ की बनाई हुई ऐतिहासिक जामा मस्जिद और इनके अतिरिक्त भी कई मस्जिदों के सिलसिले में साज़िशें रच रही हैं, अफ़सोस यह है कि सरकार भी साम्प्रदायिकता और देश में अराजकता फैलाने के कुप्रयासों पर चुप्पी साधे हुए है! और अदालतों के रवैय्या भी मुसलमानों की चिन्ता बढ़ाने का कारण बन रहा है।

यह भी दुखदायी बात है कि अपने आपको सेक्युलर कहने वाले राजनीतिक दल भी चुप्पी साधे हुए हैं और सत्य को सत्य कहने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं, देश की ऐसी विकट परिस्थिति में मुसलमानों की ज़िम्मेदारी पहले से अधिक बढ़ जाती है, उन्हें चाहिए कि वे अपने नेतृत्व (क़यादत) और उलेमाओं के मार्गदर्शन में मस्जिद की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत रहें, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ज्ञानवापी मस्जिद और उन सभी मस्जिदों के सम्बंध में जिनको विवादित बनाने का प्रयास किया जा रहा है, चिन्ता और रणनीति के साथ संघर्ष जारी रखा हुआ है, ज्ञानवापी मस्जिद के सम्बंध में जो अदालती कार्यवाही हो रही है उस पर भी बोर्ड की कड़ी निगाह है।

दो दिन पूर्व ज्ञानवापी मस्जिद के सम्बंध में जो अदालती कार्यवाही हुई और जिससे पूरे देश में मुसलमानों में अशांति और बेचैनी पैदा हुई, उस पर भी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने आपातकालीन बैठक बुलाई, जिसमें सम्पूर्ण परिस्थिति पर विचार-विमर्श करके क़ानूनी कार्यवाही का निर्णय किया गया, इसी के साथ-साथ बड़े पैमाने पर किसी जनांदोलन पर भी विचार-विमर्श जारी है।

भारतीय मुसलमानों से अनुरोध है कि बोर्ड की ओर से जैसे ही जनांदोलन का आह्वान हो, वे इसमें भरपूर हिस्सा लें और इस सच्चाई को याद रखें कि ज़िंदा क़ौमें और मिल्लतें मज़बूती के साथ परिस्थितियों का मुक़ाबला किया करती हैं, ईमान हमें गम्भीर स्थिति में भी सुदृढ़ रहने और साहस के साथ आगे बढ़ने की शिक्षा देता है, परिस्थितियाँ कैसी भी हों हम अल्लाह तआला पर भरोसा रखते हुए हिकमत (ज्ञान) और विवेक को अपनाएं, और अपने दिल में इस विश्वास को ताज़ा करें कि हर अंधेरी रात के बाद सुबह उज्ज्वल होती है और हर मुश्किल के बाद आसानी का दौर आता है।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और दूसरे मिल्ली संगठन भी मस्जिद की सुरक्षा के सम्बंध में चिन्तित हैं, यद्यपि प्रत्येक क्षेत्र के मुसलमानों को चिंतित होने और मस्जिद से अपने रिश्ते को मज़बूत बनाने की ज़रुरत है।

(लेखक ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव हैं)