सिद्धार्थ रामू
आखिर रिया चक्रवर्ती राजपूत जाति के देश व्यापी दबदबे, बिहारी सेंटीमेंट, बिहार के चुनाव, गिद्ध मीडिया के ट्रायल, केंद्र में भाजपा की सरकार, बिहार में भाजपा के गठजोड़ की सरकार, संघी-भाजपाई प्रचार आर्मी की ताकत, भाजपा-शिवसेना के टकराव, केंद्रीय जांच एजेंसियों का राजनीतिक पार्टी का कठपुतली जैसे काम करना और मनचाही जिंदगी जीने वाली महिला होने के अपराध और एक आत्ममुग्ध उच्च महात्वाकांक्षा वाले नशेड़ी व्यक्ति के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने आदि समीकरणों का शिकार बनी और गिरफ्तार हो गई।
यहां यह याद रखना जरूरी है कि यदि संघ-भाजपा का रिया चक्रवर्ती के पक्ष में खड़े होने से फायदा होता और वे उसके पक्ष में खड़े होते, तो रिया चक्रवर्ती एक पवित्र एवं महान चरित्र वाली लड़की बन जाती है और सारी जांचों से पाकशाप निकल जाती और कंगना रनौत की तरह वाई प्लस सुरक्षा भी प्राप्त कर लेती तथा भाजपा से सांसद- विधायक भी बन जाती है, साथ ही में उसे ब्राह्मण नायिका के तौर प्रस्तुत कर दिया जाता, जैसे आजकल कंगना रनौत राजपूत नायिका बनकर उभरी हैं।
इतना ही नहीं उसके पिता का पूर्व सैनिक होना पूरे देश के सम्मान का विषय बन जाता। सेना की इज्जत का सवाल पैदा हो जाता और देश को संघी-भाजपाई सैनिक की बेटी का सम्मान बचाने के लिए तैयार कर देते है। यह होती है,ताकत। यह है संघ-भाजपा की ताकत।
(लेखक फॉरवर्ड प्रेस मैग्ज़ीन के संपादक हैं, ये उनके निजी विचार हैं)