यूक्रेन से निकलकर वाया रोमानिया बॉर्डर होते हुए अपनी सरजमीं हिन्द पहुंचे मुज़फ्फरनगर योगेन्द्रपुरी निवासी अब्दुस समद ने दर्द भरी दास्तां बयान की। अब्दुस समद मंगलवार की दोपहर ही भारत पहुंचे है। अभी उन्हे दिल्ली की यूपी भवन में रखा गया था। देर रात वे अपने घर पहुँच गए।
ट्रू स्टोरी की रिपोर्ट के मुताबिक़ अब्दुस समद ने फ़ोन पर बताया कि वह यूक्रेन से बस और कैप का सहारा लेकर रोमानिया बॉर्डर पर पहुंचे थे। रात भर माइनस डिग्री तापमान में रात गुजारी। किसी ने यहाँ कोई मदद नहीं की। सभी साथियों ने खुद ही बस का किराया दिया और अपने खर्च पर बॉर्डर आये। उन्होंने बताया कि रात में भारतीय विमान से वे दिल्ली के लिए रवाना हुए थे! देहली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर विमान उतरा! जहां पर उनका सरकारी अधिकारियों ने स्वागत किया । जहां से उन्हें यू०पी०भवन ले जाया गया। यू०पी०भवन में भोजन करा कर उनके घरों को रवाना किया गया।
अभी भी जारी है जंग
यूक्रेन और रूस के बीच जंग जारी है। इस बीच वहां फंसे भारतीयों की वापसी का अभियान तेजी से चल रहा है। भारतीय दूतावास की मदद से यूक्रेन में रहने वाले लोगों को वापस लाया जा रहा है। यूक्रेन में एक भारतीय छात्र की मौत हुई है। अभी भी सैकड़ों की तादाद में भारतीय छात्र फंसे हैं। अभी भी इसके लिए विमान कंपनियां उड़ानें संचालित कर रहीं हैं। मंगलवार की सुबह को यूक्रेन में फंसे कई छात्र एक बस ओर कुछ कैब के जरिये रोमानिया पहुंच गए। यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे है।
सब कुछ तबाह हो गया
मुज़फ्फरनगर के एसएसपी कार्यालय में तैनात तहसीन अली के बेटे अब्दुस समद MBBS के स्टूडेंट है। उन्होंने बताया कि रूस और यूक्रेन जंग के सब कुछ बर्बाद हो गया, चारों तरफ ख़ौफ़नाक मंज़र है।
जगह-जगह लाशें बिखरी थीं,दिखा वी भत्स नजारा
अब्दुस समद ने बताया कि रास्ते में जगह-जगह लाशें बिखरी थीं और रूसी सेना की कार्रवाई के बाद नजारा वीभत्स था। बम बारूद की गंध से हवा में सांस लेना मुश्किल था। छात्रों ने दहशत की अलग अलग कहानी बयां की है।
बेसमैंट व बंकरों में छिपे हैं लोग,मौका मिलने पर निकल रहे
बाक़ी सभी लोगों के साथ हम सब भारतीय छात्र भी सुरक्षित स्थान पर थे अभी भी बहुत लोग बंकरो में छिपे हैं,जिसको जैसे यूक्रेन से निकलने का मौका मिल रहा है निकल रहा है। ‘जब धमाका होता है तो तेज हो जाती हैं धड़कनें’ मेडिकल छात्र ने बताया कि जब कोई ज़ोर का धमाका होता था तो हमारी धड़कनें तेज़ हो जाती थीं। लगता है कि कहीं ये लड़ाई की आंच हम तक ना पहुंच जाएं। हम नहीं जानते की आगे क्या होगा। अब अपने वतन आ गये है बस इससे बड़ा खुदा का करम क्या हो सकता है। उन्होंने कहा की अभी उनके कई दोस्त वही फंसे है उनके निकलने के लिए प्रयास जारी है। उन्होंने कहा की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मांग की है की उसके साथियों को भी निकलवाने की व्यवस्था की जाए।