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अब्बास अंसारी ने संभाली पिता की विरासत, मऊ सदर से रिकॉर्ड मतों से जीता चुनाव

जेल में बंद बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के बड़े बेटे ने आखिरकार जीत का स्वाद चख ही लिया। अब्बास अंसारी 2017 के विधानसभा चुनाव में घोषी विधानसभा सीट से जीत दर्ज नहीं कर पाए थे, लेकिन इस बार उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी को क़रीब 38 हज़ार वोटों से पटखनी दी है। अब्बास जिस सीट से चुनाव जीते हैं, वहां से उनके पिता चुनाव जीतते रहे हैं, लेकिन इस बार उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा और अपने बेटे अब्बास अंसारी को मैदान में उतारा।

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अब्बास ने इस बार सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के संयुक्त प्रत्याशी के रूप में मऊ सदर विधानसभा से चुनाव जीता है। इस प्रकार मऊ सदर सीट से पिता की परंपरागत सीट को नई पीढ़ी ने संभाल लिया है। इस बार अब्‍बास को सुभासपा ने समाजवादी पार्टी गठबंधन की ओर से चुनाव मैदान में उतारा था। देर शाम आए परिणाम में अब्‍बास अंसारी को सुभासपा से विजयी घोषित किया गया।

अब्‍बास पर इस चुनाव में प्रशासनिक अधिकारियों को धमकाने का आरोप लगने की वजह से उनपर एक दिन का चुनाव प्रचार प्रतिबंध भी लगाया गया था। इसके पूर्व भी उनपर कई मौकों पर आरोप लग चुका है। मुख्‍तार अंसारी इस बार जेल से ही चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन, अंतिम समय में मुख्‍तार ने अपने बेटे को छड़ी के चुनाव निशान पर चुनाव लड़ने के लिए राजी किया और अब्‍बास ने मऊ सदर से अपना नामांकन दाखिल किया। इसके बाद से ही वह सपा और सुभासपा के साथ मिलकर चुनाव प्रचार कर रहे थे। वहीं मुख्‍तार की परंपरागत सीट से अब्‍बास को भी चुनाव जीतने के लिए कड़ी मेहनत नहीं करनी पड़ी।

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में शूटिंग के शौकीन अब्बास अंसारी को घोसी से हार मिली थी। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में मऊ जिले के घोसी विधानसभा क्षेत्र से मुख्‍तार अंसारी के बड़े बेटे अब्बास अंसारी ने चुनाव मैदान में दस्‍तक दी थी। इस चुनाव में वह भाजपा के दिग्‍गज नेता फागू चौहान से वह चुनाव हार गए थे। इस बार चुनाव मैदान में सुभासपा की ओर से टिकट जारी किए जाने की जानकारी होने के बाद मऊ की सियासत में नई पीढ़ी शामिल हो गई है। उनपर भी कई मुकदमे हैं और जिला प्रशासन को चुनाव बाद धमकी देने का वीडियो वायरल होने के बाद चुनाव आयोग ने एक दिन के चुनाव प्रचार का उन पर प्रतिबंध भी लगाया था।