आमिर और टीना, बाक़ी रहेगी रिश्ता टूटने की कसक, हर रिश्ता टूटने पर अपने हिस्से का दर्द देकर जाता है..

श्याम मीरा सिंह

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यूपीएससी टॉपर रहीं टीना डाबी ने अपने लाईफ पार्टनर अतहर से अलग होने के लिए तलाक़ की अर्ज़ी दे दी है। लव-जिहाद के परिदृश्य के चलते टीना डाबी “ब्रांड अंबेसडर” बन सकती हैं, जैसा कि कथित हिंदू संगठनों ने शुरू भी कर दिया है। मीम्स की दुनिया के लिए भी इससे अधिक चटखारी ख़बर क्या ही हो सकती है लेकिन मैं इसपर नहीं जाता कि मीम्स बनने चाहिए कि नहीं, मज़ाक़ उड़ाना चाहिए कि नहीं या उनके निजी फैसले का सम्मान करना चाहिए कि नहीं। निसंदेह टीना और अतहर दोनों ही इस वक्त मानसिक चुनौतियों से गुजर रहे होंगे, जिनके साथ आप रहते हैं जिनके लिए “फ़ोरएवर” लिखते हैं, जिसकी सेल्फ़ियां शेयर करते हैं, जिसके साथ होने की ख़ुशी को शेयर करते हैं उनको छोड़ना कितना मुश्किल होता है सब जानते हैं. लेकिन ये वक्त बहुत अधिक सेंटी होने से अधिक तलाक़ पर बात करने के लिए सबसे माफ़िक़ वक्त है. वक्त है कि हम तलाक़ से जुड़े टेबू पर बात करें. सही वक्त है कि तलाक़ को बुरा कहना बंद कर दें, ब्रेकअप्स को बुरा मानना बंद कर दें। तलाक़-ब्रेकअप्स दुखद हैं लेकिन बुरे नहीं. तलाक़ को हमें अधिक से अधिक सहज बनाने की ज़रूरत है. हिंदी में कहीं पढ़ने को मिला था कि घर में घुटकर मरने वाली लड़कियों से तो भागने वाली लड़कियाँ अच्छी हैं.

ऐसा ही मेरा मत रिश्तों को लेकर है, टॉक्सिक रिश्तों को खींचकर पाँच साल करने से अच्छा है कि पांच महीने में तब ही अलग हो जाएं जब लगे कि आने वाला वक्त मुश्किल है. अगर गम्भीरता से सोचें तो तलाक़ एंड नहीं हैं बल्कि एक पुनर्विचार है. ज़रूरी नहीं कि जिनसे गले लगकर आपने भविष्य के सपने देखें हैं उनपर रिजिड ही हुआ जाए. मेरा मानना है कि कठोर से कठोर हृदय में भी प्रेम उपजने की पूरी गुंजाइश है फिर जिसने जीवन में एकबार भी प्रेम किया है तो उस मन में दोबारा प्रेम स्थापित होने की तो पूरी पूरी गुंजाइश बची रहती है. इसलिए एक ब्रेकअप या एक तलाक़ के बाद भी दूसरे ब्रेकअप और तलाक़ के लिए मन बनाकर रखना चाहिए। अक्सर देखता हूँ कि चार या पाँच ब्रेकअप की बात सुनकर लोग मूँह बनाते हैं, मूँह  से भी अधिक पूर्वाग्रह बनाते हैं और आपको ये फ़ील कराते हैं कि ज़रूर आपमें ही कुछ ग़लत है, ज़रूर ही आप एक अच्छे पार्टनर नहीं रहे होंगे. लेकिन मेरा मानना है कि आप अच्छे पार्टनर थे इसलिए ही अपने आप को करेक्ट करने के लिए आपने तलाक़चुना, ब्रेकअप चुना। ब्रेकअप हमारी कहानी के एंड नहीं बल्कि करेक्टिव मीजर्स हैं, एक opportunity हैं अपने आपको करेक्ट करने के लिए.

जो मुझ पर है गुज़री

किसी ने मुझसे पूछा तुम्हारे इतने ब्रेकअप हुए तुम शादी मत करना नहीं तो तलाक़ हो जाएगा. एकतरह से उनके प्रश्न में शादी को अंतिम चुनाव की तरह देखा गया था यानी शादी मतलब कि विकल्पों का अंत. तलाक़ मतलब सभी तरह से एंड. लेकिन मेरा जबाव था कि जिस तरह मैं ब्रेकअप के लिए सहज हूँ उसी तरह तलाक़ के लिए भी रहूँगा, एक बार तलाक़ के बाद दूसरे तलाक़ के लिए और दूसरे तलाक़ के बाद तीसरे, चौथे, पाँचवे तलाक़ के लिए। मैं क्यों अपनी पार्टनर को मेरे साथ रहने की ज़िद करूँगा और क्यों किसी की ज़िद के चलते किसी के साथ खुद रहना चाहूँगा। मैंने अपनी पार्टनर से हमेशा कहा है कि मेरी कोशिश रहेगी कि मैं हर अच्छे-बुरे में उनके साथ रहूँ फिर भी कभी उन्हें ऐसा लगे कि नहीं कुछ और है जो उनका इंतज़ार कर रहा है तो वे मुझे छोड़ने के लिए हमेशा स्वतंत्र हैं. उसकी कोस्ट ब्रेकअप हो चाहे फिर तलाक, उससे क्या फ़र्क़ पड़ता है.

कमिटमेंट साथ रहने के लिए नहीं, बल्कि इस बात के लिए होने चाहिए कि दोनों के लिए जो बेस्ट डिसीजन होगा वो लेंगे. कई बार बेस्ट डिसीजन साथ रहने की बजाय अलग-अलग रास्ते चुनने का साथ देते हैं इसलिए “forever” शब्द में बुनियादी खोट है ये प्रेम में चुनने और अपने आप को करेक्ट करने के अधिकार को ख़त्म करता है। जब दो लोग साथ रहना ही चाहेंगे तो स्वयं ही साथ रहेंगे उसमें अधिक गणित की आवश्यकता कहाँ? अगर दोनों में से कोई एक कुछ और सोचता है तो उसे जाने की अनुमति होनी चाहिए। जाना किसी भी कमिटमेंट की परिधि से बाहर रहना चाहिए. इसलिए एकबार लिखा था कि “तुम्हारे मिलने तक मेरा अपराधी होना जारी रहेगा” मतलब कि जब तक “तुम” न मिलोगी तब तक जितने चाहे ब्रेकअप हों, जितने चाहें तलाक़ हों, वे होंगे ही. टीना और अतहर के मामले में भी मेरा यही मत है. उन्हें प्रेम में अपना विश्वास खोने की ज़रूरत नहीं है, इस तलाक़ के बाद भी उन्हें फिर एक नई कहानी का इंतज़ार करना चाहिए, फिर किसी के प्रेम में पड़ना चाहिए, फिर किसी के साथ की सेल्फ़ियों पर लिखना चाहिए “Forever”.

जरूरी नहीं है डरना

लेकिन अगर किसी चीज़ से नहीं डरना चाहिए तो वह है छूटने से। इस तलाक़ के बाद भी उन्हें दूसरे तलाक़ से डरने की ज़रूरत नहीं है. और तब तक डरने की ज़रूरत नहीं है जब तक कि कोई ऐसा मिल जाए जो तुम्हारे forever कहने के बाद हमेशा के लिए तुम्हारे साथ रह जाए। तलाक़ हों चाहे ब्रेकअप, पहला हो चाहे चौथा, एक महीने का हो चाहे छः साल पुराना हो. हर रिश्ता टूटने पर अपने हिस्से का दर्द देकर जाता है. पर मिलने-बिछुड़ने में जो छटपटाती सी देह है वही ज़िंदगी है. इसका अपना ही सुख है, अपना ही संगीत है पर इसपर कैसा दुखी होना? इसे सेलिब्रेट करने की ज़रूरत है. एक कहानी ख़त्म हुई एक दिन दूसरी कहानी शुरू होगी फिर घबराना कैसा? हरिवंश राय बच्चन ने भी तो कहा है-

जीवन में एक सितारा था

माना वह बेहद प्यारा था

वह डूब गया तो डूब गया

अम्बर के आनन को देखो

कितने इसके तारे टूटे

कितने इसके प्यारे छूटे

जो छूट गए फिर कहाँ मिले

पर बोलो टूटे तारों पर

कब अम्बर शोक मनाता है

जो बीत गई सो बात गई

जीवन में वह था एक कुसुम

थे उसपर नित्य निछावर तुम

वह सूख गया तो सूख गया

मधुवन की छाती को देखो

सूखी कितनी इसकी कलियाँ

मुर्झाई कितनी वल्लरियाँ

जो मुर्झाई फिर कहाँ खिली

पर बोलो सूखे फूलों पर

कब मधुवन शोर मचाता है

जो बीत गई सो बात गई…

(लेखक युवा पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)