नई दिल्लीः सोशल मीडिया पर मुस्लिम एंव हिंदू दोनों ही यूजर्स द्वारा मांग की जा रही है कि टीवी डिबेट में जाने वाला तथाकथित मौलानाओं का बहिष्कार करना चाहिए। इसी बीच आज में कार्यरत रहे पत्रकार कृष्णकांत ने अपना अनुभव सोशल मीडिया पर लिखा है। कृष्णकांत ने दावा किया है कि इस तरह की विवादित डिबेट में शिरकत करने के लिये उन्हें (मौलानाओं) को पैसा मिलता है।
कृष्णकांत ने लिखा कि मैं आजतक में काम करता था। वहां काम ऐसा था कि चारों तरफ टीवी चलता रहता था। यहां तक कि हमारे सामने टेबल पर भी एक स्क्रीन रखी रहती थी। एक दिन शाम को सामने वाली स्क्रीन पर हमारा ही चैनल लगा था और आवाज जरा सा तेज थी। डिबेट का कार्यक्रम चल रहा था। उस कार्यक्रम में पंडित और मौलाना नुमा एक अदद जोड़ी बहुत तगड़ा लड़ गई। मैंने थोड़ी देर सुना, मन खराब होने लगा तो म्यूट कर दिया।
उन्होंने आगे लिखा कि अपना काम निपटाया और सोचा थोड़ा बाहर घूमकर आता हूं। बाहर आकर देखा कि दोनों डिबेट से उठकर आ गए हैं। बाहर खड़े बतिया रहे हैं और ठहाके लगा रहे हैं। देखकर लगा, बहुत याराना लगता है! तब तक चैनल की गाड़ी आकर रुकी, दोनों एक साथ उसमें सवार हुए और चले गए।
कृष्णकांत ने सवाल किया कि इस कहानी से आपको क्या शिक्षा मिलती है? यही कि चैनल पर लड़ने वाले पंडित, साधु, आलिम और मौलाना सब नफरत के कारोबारी हैं। उन्हें इसके लिए चैनल से मोटा पैसा मिलता है। वे आपस में वाकई वैसे होते जैसा चैनल पर दिखते हैं तो स्टूडियो के अंदर पटकी पटका करते। वे ऐसा नहीं करते। उनका काम है धार्मिक विभाजन की बातें करके आपको उकसाना और बांटना।
कृष्णकांत ने लिखा कि अगर आपको उन्हें सुनने की आदत पड़ गई है, या सुनना अच्छा लगता है, रोज सुनते हैं और गंभीरता से लेते भी हैं तो अपने परिवार और दोस्तों से बात करें। उनकी मदद लें, किसी अच्छे मनोचिकित्सक के पास जाएं। आपके दिमाग में टीवी जहर फैल गया है और अंदर अंदर केमिकल लोचा चल रहा है।