झारखंड की हेमंत सरकार ने मॉब लिंचिंग पर लगाम लगाने के लिए भीड़ हिंसा एवं भीड़ लिंचिंग निवारण विधेयक का मसौदा तैयार किया था। इस विधेयक को आज सदन पारित कर दिया गया। आपको बता दें कि तैयार मसौदे के अनुसार मॉब लिंचिंग के दोषी को सश्रम आजीवन कारावास और 25 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकेगा। इसके तहत दो या दो से अधिक व्यक्तियों के समूह द्वारा धर्म, वंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, आहार, व्यवहार, लैंगिक, राजनैतिक संबद्धता, नस्ल अथवा किसी अन्य आधार पर किसी को लिंच करने के लिए भीड़ को उकसाने का आरोप सिद्ध होने पर इसके तहत सजा मिल सकती है।
झारखंड विधानसभा में मॉब लिंचिंग के खिलाफ बिल पास होने के बाद झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन…👇🏽 pic.twitter.com/kL13vYdaNA
— Ashraf Hussain (@AshrafFem) December 21, 2021
राज्य सरकार एक नोडल अधिकारी नियुक्त करेगी। डीजीपी लिंचिंग की रोकथाम की निगरानी और समन्वय के लिए अपने समकक्ष के अधिकारी को राज्य समन्वयक नियुक्त करेंगे। वहीं इसके नोडल अधिकारी कहलायेंगे। नोडल अधिकारी जिलों में स्थानीय खुफिया इकाइयों के साथ माह में एक बार नियमित रूप से बैठक करेंगे. इसका उद्देश्य अतिरिक्त सतर्कता और भीड़ द्वारा हिंसा या लिंचिंग की प्रवृत्तियों के अस्तित्व की निगरानी करना है।
नोडल अधिकारी विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म या किसी अन्य माध्यमों से आपत्तिजनक सामग्री के प्रसार को रोकने के लिए भी कदम उठायेंगे। हर जिले में एसपी या एसएसपी समन्वयक होंगे. वह डीएसपी के माध्यम से हिंसा और लिंचिंग रोकने के उपाय पर काम करेंगे।
गवाह का नाम और पता गोपनीय रखा जायेगा. पीड़ित अगर चाहेंगे, तो उन्हें नि:शुल्क कानूनी सहायता दी जायेगी. गवाह का संरक्षण किया जायेगा. पीड़ित के नि:शुल्क उपचार की व्यवस्था भी की जायेगी. लिंचिंग का अपराध सिद्ध होने पर शुरुआत में एक साल का कारावास हो सकता है, जिसे तीन साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। जुर्माना राशि भी एक लाख से तीन लाख तक हो सकती है।
दोषी का कृत सामान्य से ज्यादा होने पर जुर्माना तीन से पांच लाख रुपये तथा एक से दस वर्ष तक की सजा हो सकती है. लिंचिंग के दौरान पीड़ित की मौत होने पर सश्रम आजीवन कारावास के साथ पांच लाख तक का जुर्माना होगा। जुर्माने की राशि 25 लाख तक बढ़ायी जा सकती है.