लखनऊ: समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता मोहम्मद आज़म ख़ान पिछले डेढ साल से सीतापुर जेल में बंद हैं। आज़म ख़ान को पिछले महीने कोरोना हुआ था जिसके बाद उन्हें लखनऊ स्थित मेदांता अस्पताल मे भर्ती कराया गया था। आज़म ख़ान को इलाज के बाद फिर से जेल भेज दिया गया, जहां उनकी तबीयत और ज्यादा बिगड़ गई, उन्हें फिर से मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया है। आज़म ख़ान की इस हालत का हवाला देते हुए उत्तराखंड के पूर्व राज्यपाल डाॅ. अज़ीज़ क़ुरैशी ने उनकी रिहाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि मैं इलाहाबाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से निवेदन करना चाहूंगा कि वो स्वयं अपनी मर्ज़ी से मानवीय सिद्धांतों के आधार पर कार्यवाही करें और आज़म खान की जान की हिफाज़त करें।
पूर्व राज्यपाल ने फेसबुक पर टिप्पणी करते हुए लिखा कि अभी हाल ही में सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश के एक क़ददावर और बड़े नेता माननीय आज़म खान के फोटो वायरल किए गए हैं जिसमे उन्हें दोबारा सीतापुर जेल से लखनऊ के किसी बड़े हॉस्पिटल में ले जाते हुए दिखाया गया है। उन्होंने कहा कि आम जनता का ये ख्याल है कि उत्तर प्रदेश सरकार जान बूझ कर आज़म खान की हत्या करने की साजिश और उपाय कर रही है। शायद उनके नेतृत्व से योगी सरकार इतनी डरी, सहमी और खौफज़दा है कि वह जनता के दरबार में उनका मुकाबला नहीं कर सकती, इसलिए वो इस कांटे को अपने रास्ते से निकाल कर अलग करना चाहती है।
डाॅ. अज़ीज़ क़ुरैशी ने कहा कि दुनिया का इतिहास गवाह है कि यहां ज़ालिमो, क़दज़ाको, इंसानों का नरसंहार करने वालों और उनका ख़ून पीने वालों, अत्याचारियों और इंसानों का गोश्त खाने वालों का शासन भी रहा है लेकिन इतना अत्याचार, ज़ुल्म और अन्याय शायद आदमखोरों और राक्षसों के शासनकाल में भी नहीं हुआ जो आज आज़म खान के साथ किया जा रहा है। यह उनकी हत्या की खुली और सोची समझी साज़िश है। आम व्यक्ति का मानना है।
पूर्व राज्यपाल ने कहा कि अगर योगी आदित्यानाथ की सरकार में मानवता की एक भी सोच होती तो उसे चाहिए था के आज़म खान को उनकी गंभीर बीमारी के कारण बिना किसी शर्त के रिहा कर दे या अदालत से उनकी जमानत होने पर उसका घोर विरोध न करे, परंतु ये तो मानवता के सिद्धांत मानने वालों का रास्ता है इंसानी ख़ून पीने वाले राक्षसों का नहीं। उन्होंने कहा कि मैं इलाहाबाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से निवेदन करना चाहूंगा के वो स्वयं अपनी मर्ज़ी से मानवीय सिद्धांतों के आधार पर कार्यवाही करें और आज़म खान की जान की हिफाज़त करें।
डाॅ. अज़ीज़ क़ुरैशी ने कहा कि शहर रामपुर खुददार, बहादुर, जांबाज और गैरतमंद पठानों का एक तारीखी शहर है, जहां बहुत से लोगों को आज़म खान साहब से सियासी मतभेद हो सकता है लेकिन उनकी जान बचाने और उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए रामपुर के सूरमा पठान ख़ामोश हैं, ये आश्चर्य की बात है और इतिहास उन्हे कभी माफ नहीं करेगा। रामपुर की आम जनता को बिना किसी धार्मिक या सियासी भेदभाव के रामपुर के प्रशासन की चूलें ढीली कर देनी चाहिए थीं और उसे जड़ बुनियाद से उखाड़ कर फेंक देना चाहिए था। रामपुर के नौजवान भविष्य के इतिहासकार को क्या जवाब देंगे, क्या उन्होंने कभी यह सोचा है?
उन्होंने आज़म ख़ान की रिहाई की मांग करते हुए कहा कि मैं पूरी मज़बूती के साथ मांग करता हूं के आज़म खान को तुरंत रिहा किया जाए और उनकी जान और स्वास्थ्य की पूरी-पूरी रक्षा की जाए और उनके इलाज के मुकम्मल इंतेज़ामात कराए जाएं।