विक्रम सिंह चौहान
बंगाल में जबरदस्त खेला चल रहा है। ममता बनर्जी की नंदीग्राम मामले में लगी याचिका पर कोलकाता हाई कोर्ट की जस्टिस शंपा सरकार ने बीजेपी नेता शुभेन्दु अधिकारी को एक नोटिस जारी किया है। जस्टिस शंपा सरकार ने नोटिस के अलावा चुनाव आयोग को भी निर्देश दिया कि चुनाव से जुड़े सभी दस्तावेज, चुनाव पत्र, उपकरण, वीडियो रिकॉर्डिंग आदि को सुरक्षित रखना चाहिए। कोर्ट ने रिटर्निंग ऑफिसर के साथ आयोग के CEO और इलेक्शन कमिशन को भी मामले में पक्षकार बनाया है। उन्होंने इस मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त 2021 को रखी हैं और इसी तारीख तक शुभेन्दु को नोटिस का जवाब देने कहा है। इधर शुभेंदु अधिकारी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। अधिकारी ने सर्वोच्च न्यायालय के पास गिड़गिड़ाया है कि इस केस को कोलकाता हाईकोर्ट से ट्रांसफर कर किसी अन्य हाईकोर्ट को भेजा जाए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट तय है हाई कोर्ट के फैसले का इंतजार करेगा।
ध्यान दीजिए शुभेन्दु जस्टिस शंपा सरकार के पास केस जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट गए हैं,जब यह केस जस्टिस कौशिक चंदा के पास था,तब वे सुप्रीम कोर्ट जाने के बारे में सोचे भी नहीं थे। ममता ने जब जस्टिस कौशिक चंदा का बीजेपी कनेक्शन को लेकर उनकी पोल खोलीं और उन्हें इस केस में आपत्तिकर उन्हें हटवाई तब शुभेन्दु को लगा कि नंदीग्राम चुनाव की धांधली, गड़बड़ी सबके सामने आ जायेगी। जस्टिस शंपा सरकार के तेवर से लग रहा है वे इस मामले में बेहद कड़े फैसले लेने वाली हैं। शंपा सरकार के कई फैसले ऐतिहासिक रहे हैं। शुभेन्दु का सुप्रीम कोर्ट जाना ही हुआ था कि इधर शुभेंदु के घर पर उनके पूर्व सुरक्षा गार्ड शुभव्रत चक्रवर्ती के संदिग्ध मौत के मामले में जांच करने CID की स्पेशल टीम पहुंची थी।
शुभव्रत की पत्नी सुपर्णा कांजीलाल चक्रवर्ती ने अपने पति की मौत को रहस्यमय और उनकी मौत के तार शुभेन्दु अधिकारी परिवार से जोड़ते हुए एफआईआर करवाई थी। जांच आगे बढ़ने पर शुभेन्दु की गिरफ्तारी तय है।कुलमिलाकर ममता बनर्जी शुभेन्दु के उस खंजर का बदला ले रही हैं जो उसने ममता की पीठ में घोंपा था।यह नंदीग्राम से सिर्फ 1956 वोटों का फर्क नहीं है। यह गद्दारी और महिला की मान सम्मान की इज्जत की लड़ाई है।बंगाल की हवा कितनी बदल चुकी हैं इसका अंदाजा लगाइए बीजेपी में गए लोग सिर मुंडवाकर पश्चाताप कर ममता दीदी के पैरों में गिरे हैं। मुकुल राय के बाद अब बाबुल सुप्रियो भी ममता की पैरों में गिरना चाहते हैं, लेकिन ममता नफरती और समाज में ज़हर बांट चुके लोगों को लेने के पक्ष में नहीं हैं। सत्ता के अहंकार में चूर भाजपा की मोदी ब्रिगेड को कोई वैक्सीन लगा सकता है तो वह ममता है। ममता न डरती हैं,न झुकती है और न रुकती है। और घात लगाकर शिकार भी करती हैं।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार एंव सोशल एक्टिविस्ट हैं, ये उनके निजी विचार हैं)