नई दिल्लीः भीम आर्मी के संस्थापक और आज़ाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद ने ओडिशा के सम्बलपुर में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मेरे पिता एक स्कूल में हेडमास्टर थे, उन्हें ये नौकरी बाबा साहब द्वारा संविधान में दिए गए आरक्षण के अधिकार के तहत मिली थी। अगर आरक्षण नहीं होता तो आज मैं भी आपके बीच नहीं होता।
उन्होंने कहा कि सरकार आरक्षण को समाप्त करने पर तुली है लेकिन हम ऐसा होने नहीं देंगे। सभा को संबोधित करते हुए चंद्रशेखर ने कहा कि हम ग़ुलाम पैदा जरूर हुए लेकिन हम ग़ुलाम रहकर मरेंगे नहीं। उन्होंने कहा कि सरकारें लगातार बहुजन समाज को ग़ुलाम बनाने की योजना पर काम कर रही है, लेकिन हम इस ग़ुलामी को स्वीकार नहीं करेंगे, क्योंकि जो समाज ग़ुलाम हो जाता है वह किसी अत्याचार के ख़िलाफ आवाज़ ही नहीं उठा पाता।
चंद्रशेखर ने कहा कि हमारी लड़ाई महज़ रोटी कपड़ा मकान की नहीं है, बल्कि यह लड़ाई स्वभिमान एंव सम्मान की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि बाबा साहब ने हमें संविधान के माध्यम से वोट का अधिकार देकर ग़ुलामी को खत्म करने का काम किया है। चंद्रशेखर ने कहा कि सत्ता सभी समस्याओं की चाबी है, अगर सरकार आपकी (बहुजन समाज) होगी तो फिर हर शख्स खुशहाल होगा। उन्होंने कहा कि जो ताक़तवर वर्ग है वो आपको इंसान ही नहीं मानेगा, इसलिये आपको चाहिए कि इन ताक़तवर लोगों से अपनी वोट के ताक़त के दम पर दम पर सत्ता हासिल कीजिए।
आज़ाद समाज पार्टी के अध्यक्ष ने कहा कि जिस समाज को मुफ्त में खाने की आदत पड़ जाती है वह समाज कभी क्रांति नहीं कर सकता, मुफ्त के टुकड़ों पर पलने वाला समाज सिर्फ उत्पीड़न ही भोगता है। उन्होंने कहा कि जो समाज मुफ्त में खाता है उस समाज की बहन बेटियों की इज्जत से खिलवाड़ होगा, उन्हें घोड़ी पर नहीं बैठने दिया जाएगा। अपने जेल में बिताए दिनों का हवाला देते हुए चंद्रशेखर ने कहा कि जब मैं 16 महीने जेल में बंद था तब मुझे अहसास हुआ कि ग़ुलामी क्या होती है। मैंने तभी खुद से वादा किया था कि इस ग़ुलामी को खत्म करुंगा।