मदन तंवर क्यों रख रहे हैं रोजा?

नई दिल्लीः दिल्ली से लगता हरियाणा का मेव मुसलमान बहुल क्षेत्र मेवात, अक्सर देशभक्ति और सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करता रहा है। ऐसी ही एक और मिसाल पेश की है इलाके के मदन तंवर ने। उन्होंने न केवल रोजा रखा, मुसलमानों के बीच इफ्तार कर मेवात के हिंदु-मुस्लिम भाईचारे को थोड़ा और बढ़ाया है। इसके अलावा उन्होंने रमजान के पवित्र महीने के सभी जुमा के दिन रोजा रखने का संकल्प लिया है।

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मेवात क्षेत्र के नूंह शहर निवासी मदन तंवर बताते हैं, उन्होंने शुक्रवार को पहला रोजा रखा। इसके लिए सुबह 4ः 43 बजे सेहरी की। इस दौरान उन्होंने दही खाया और पूरे दिन करीब 14घंटे बिना खाए-पिए रोजे से रहे। शाम को मुसलमानों की तरह 6: 44 बजे मुस्लिम समाज के साथियों के साथ दस्तरखान पर बैठकर रोजा इफ्तार किया।

उन्होंने बातचीत में रोजा रखने का उद्देश्य समझाइए कहा, समाज में बढ़ती नफरत को कम करने के लिए रोजा रखकर समाज को सांप्रदायिक सौहार्द का संदेष देने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा, अल्लाह, ईश्वर एक है। यह समझने की हमें सद्बुद्धि मिले।

मदन तंवर ने बताया कि देश-प्रदेश में आपसी भाईचारा बिगाड़ने की पिछले कुछ समय से साजिष चल रही है। कतिपय लोग जाति-धर्म के नाम पर समाज को बांटकर देश को कमजोर करने के प्रयास में हैं।

उन्होंने रमजान के पवित्र महीने में एकता का संदेश और आपसी भाईचारे को मजबूत करने के लिए रोजा रखा। यही नहीं उन्होंने रमजान में पड़ने वाले सभी जुमा के दिन रोजा रखने का भी फैसला लिया है। उन्होंने नवरात्रि भी पूरी श्रद्धा से मनाई।

तंवर का कहना है, मेवात इलाका सदियों से हिन्दू-मुस्लिम भाईचारा का प्रतीक रहा है। यहां सभी धर्मों के लोग मिलकर रहते हैं। उन्होंने रोजा रखकर खुद को काफी हल्का महसूस किया। डॉक्टर भी रोजा रखने को महत्व देते हैं।

तंवर ने कहा कि सनातन धर्म और इस्लाम सहित लगभग सभी धर्मों में रोजा रखने की परंपरा है। इसके तरीके थोड़ा जुदा जरूर हैं। उन्होंने कहा, देश नफरतों से नहीं आपसी मोहब्बत से चलेगा। देश को आजादी दिलाने में सभी धर्मों के लोगों ने कुर्बानियां दी हैं। मेवात वासियों की भी देष को आजाद करने में अहम भूमिका रही है।

बता दूं कि मदन तंवर नूंह (मेवात) के दलित समुदाय से आते हैं। उनकी पत्नी सरिता देवी नूंह नगर पालिका के वार्ड नंबर 8 से नगर पार्षद हैं। वह खुद एक सियासी पार्टी से जुड़े हुए हैं। चंद दिनों पहले मेवात के दलित परिवारों को लेकर कुछ संगठनों ने आरोप लगाया था कि उनका धर्म परिवर्तन कराने की साजिश चल रही है, जो बाद में जांच में गलत साबित हुई।


सभार आवाज़ द वायस