सोनभद्र: कांग्रेस महासचिव एवं उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि मौजूदा विधानसभा चुनाव में विकास,बेरोजगारी और महंगाई जैसे ज्वलंत मुद्दों के बजाय समाजवादी पार्टी (सपा),बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जाति धर्म की बातें कर वोट हासिल करने का प्रयास कर रही हैं।
जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर ओबरा स्थित रामलीला मैदान में एक सभा को सम्बोधित करते हुए श्रीमती वाड्रा ने गुरूवार को कहा कि सपा,बसपा,भाजपा धर्म और जाति की बात करते हैं क्योंकि वो जानते हैं कि धर्म और जाति की बात करके उन्हें वोट मिल जाएगा लेकिन इन सबमें आम जनता की बड़ी बड़ी समस्याओं जैसे महंगाई, बेरोज़गारी आदि को भुला दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि इस समय सरसों का तेल 250 रुपए लीटर और गैस सिलेंडर 1000 रूपये का मिल रहा है। रोज़गार नहीं मिलने से हर रोज पलायन हो रहा है। छोटे दुकानदार और व्यापारी भी परेशान हैं। सरकार की नीतियों ने उनकी कमर तोड़ दी है। नोटबंदी, जीएसटी और कोरोना में लाकडाउन का सबसे अधिक असर छोटे व्यापारियों पर पड़ा और सरकार ने उनको कोई राहत नहीं दी। किसानों की उपज का दाम नहीं मिल रहा, साथ आदिवासियों को जंगल पर जो अधिकार कांग्रेस की सरकारों में मिला था आज उनका हक़ नहीं रहा।
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि आदिवासियों को बुलडोज़र से उनकी ज़मीनों से बेदख़ल किया जा रहा है। घोरावल क्षेत्र में उम्भा कांड का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वहाँ पर पुलिस, प्रशासन और माफ़ियाओं की गठजोड़ ने लाठी, डंडे और बंदूक़ के बलपर ज़मीनों पर क़ब्ज़ा करने की कोशिश की और लाठियों से पीटा। बड़ा नरसंहार हुआ और पुलिस मौक़े पर नहीं पहुँची, जब मैंने जाने की कोशिश की तो मुझे चुनार में हिरासत में रखा गया। चुनार में उम्भा से 100 किलोमीटर पैदल चलकर आदिवासी भाई, बहन मुझसे मिलने आए।
प्रियंका गांधी ने कहा कि प्रदेश में एक नयी राजनीति होनी चाहिए जिसमें विकास, रोज़गार, शिक्षा, बिजली आदि की बात हो, किसानों की बात हो, छोटे दुकानदारों, आदिवासियों की समस्याओं की बात हो। उन्होंने कहा कि छुट्टा पशु खेतों को चर डालते हैं लेकिन यूपी की सरकार ने उनकी समस्याओं के निराकरण की कोई बात नहीं की।
उन्होंने कहाकि भाजपा की सरकार राशन देने की बात करती है और खातों में थोड़े थोड़े पैसे भेजने की बात करती है लेकिन रोज़गार कब देंगे नहीं बताती छोटे कारोबारियों का रोज़गार बंद हो रहा है उनको सरकार ने अपनी नीतियों से कमजोर कर दिया। पाँच वर्षों से 12 लाख सरकारी नौकरियाँ में पड़ ख़ाली हैं लेकिन नौकरी नहीं दी गई।