दुनिया के सबसे बड़े इस्लामी संगठन की डिसीजन मेकिंग बॉडी में महिलाओं को शामिल किया गया है। बीते तक़रीबन 100 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है। इंडोनेशिया का नहदलतुल उलेमा, दुनिया का सबसे बड़ा इस्लामी संगठन माना जाता है। नहदलतुल उलेमा ने पांच साल के कार्यकाल के लिए अपने केंद्रीय बोर्ड में 11 महिलाओं सहित 150 से अधिक सदस्यों को जोड़ा है।
महिलाओं की स्थिति में होगा सुधार
बोर्ड मेंबर अलीसा वाहिद ने कहा, यह बदलाव समय और अपरिहार्य के बारे में है। यह नहदलतुल उलेमा में हुई महिलाओं की भूमिकाओं पर हो रही लगातार चर्चा का परिणाम है। बोर्ड में महिलाएं के शामिल होने से नहदलतुल उलेमा महिलाओं के कल्याण के लिए काम कर सकेगा, जिससे उनकी स्थिति में सुधार हो सके।
भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ अलीसा इंडोनेशिया के दिवंगत राष्ट्रपति अब्दुर्रहमान वाहिद की बेटी हैं। राजनीति में आने से पहले उनके पिता नहदलतुल उलेमा के नेता गुस दुर के रूप में जाने जाते थे। अलीसा ने कहा-अब तक संगठन में महिलाओं को सदस्यता दी जाती थी, लेकिन यह पहली बार जब महिलाओं को बोर्ड में शामिल किया गया है। उन्हें हाई लीडरशिप की कमान सौंपी गई है। उन्होंने कहा- मुझे उम्मीद है कि हम महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों और कु-प्रथाओं को खत्म कर सकेंगे। अब हमारे पास इन मुद्दों से लड़ने के लिए नहदलतुल उलेमा में नेतृत्व स्तर पर महिलाएं हैं।
यह कदम उदारवादी इस्लाम का उदाहरण
नहदलतुल उलेमा की सर्वोच्च परिषद की मदद करने वालेस्कॉलर्स के एक समूह- अवान में नियुक्त एक महिला मुस्लिम नेता बदरियाह फयूमी का कहना है कि बोर्ड में महिलाओं को शामिल करना नहदलतुल उलेमा की उदारवादी इस्लाम की भावना का एक उदाहरण है। उन्होंने कहा- जब समूह अधिक रूढ़िवादी हो जाते हैं, तो आमतौर पर महिलाओं को निशाना बनाया जाता है। नहदलतुल उलेमा इससे हटकर काम कर रहा है।
नहदलतुल उलेमा 1926 में स्थापित किया गया था। इसमें 90 मिलियन सदस्य हैं। बोर्ड में महिलाओं को सदस्य बनाना संगठन को मॉर्डनाइज करने का संकेत है। इसके लिए दिसंबर 2021 में नियुक्त किए गए नहदलतुल उलेमा के महासचिव याह्या चोलिल स्टाकफ प्रयास कर रहे हैं। याह्या ने इस बात पर बल दिया कि संगठन के भविष्य और इसके विकास के लिए महिलाओं का होना महत्वपूर्ण हैं।
नहदलतुल उलेमा में महिलाओं की अहम भूमिका
नहदलतुल उलेमा में महिलाओं की संगठन में हमेशा से महत्वपूर्ण भूमिका रही है। नहदलतुल उलेमा की महिला विंग ने 2017 में इंडोनेशियाई महिला उलेमा की पहली कांग्रेस की शुरुआत की। कांग्रेस ऑफ द इंडोनेशियन उलेमा ने एक ऐतिहासिक फतवा जारी किया था। इसमें सभी राजनीतिक दलों को बाल विवाह से लड़ने के लिए एक रुख अपनाने के लिए कहा गया था।