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तुर्की ने बदला अपना नाम, अब इस नाम से होगी पहचान, जानिये क्यों लिया गया ये फैसला?

तुर्की को अब तुर्किये नाम से जाना जाएगा. संयुक्त राष्ट्र के नाम परिवर्तन पर औपचारिक मुहर लगाने के बाद इस देश को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसी नाम से पुकारे जाने का रास्ता खुल गया है. संयुक्त राष्ट्र ने ये मुहर गुरुवार को लगाई. शुक्रवार को तुर्किये सरकार ने इसको लेकर जश्न मनाया. विदेश मंत्री मेयलुत कावुसोगलू ने कहा- ‘इस परिवर्तन से हमारे देश का ब्रांड वैल्यू बढ़ेगा.’ उधर तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोआन ने कहा है कि नए नाम से तुर्किये राष्ट्र की संस्कृति, सभ्यता, और उसूलों की बेहतर ढंग से अभिव्यक्ति होगी.

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इंस्ताबुल स्थित थिंक टैंक ईडीएएम के अध्यक्ष सिनान उल्गेन ने कहा है- ‘नाम बदलने का एक प्रमुख कारण यह है कि तुर्की टर्की नाम के पक्षी से अपने जुड़ाव को खत्म करना चाहता है. फिर बोलचाल में पुराना शब्द नाकामी का प्रतीक बन गया था.’ उल्गेन ने अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन से बातचीत में कहा कि अब अंतरराष्ट्रीय संगठनों को इस देश के नए नाम का ही इस्तेमाल करना होगा. हालांकि लोगों की जुबान पर नया नाम चढ़े, इसमें अभी वर्षों लगेंगे.

यह पहला मौका नहीं है, जब तुर्की नाम को बदलने की कोशिश की गई हो. 1980 के दशक के मध्य में तत्कालीन प्रधानमंत्री तुर्गट ओजाल ने भी ये प्रयास किया था. लेकिन वो कोशिश असफल रही. विश्लेषकों का कहना है कि अर्दोआन ने इस बदलाव के लिए जैसा जोर लगाया, उसके पीछे राजनीतिक मंशा है. तुर्किये में अगले साल जून में राष्ट्रपति चुनाव होगा. देश इस समय गहरे आर्थिक संकट में है. इसके बीच देश का नाम बदल कर अर्दोआन ने लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश की है.

थिंक टैंक कारनेगी यूरोप में वरिष्ठ प्रोग्राम मैनेजर फ्रांसेस्को सिकार्डी के मुताबिक यह राष्ट्रवादी मतदाताओं को लुभाने की अर्दोआन की एक और कोशिश है. उन्होंने कहा- ‘अगले साल होने वाले चुनाव को देखते हुए नाम बदलने का समय महत्त्वपूर्ण है. नाम बदलने का एलान पिछले दिसंबर में उस समय हुआ, जब एर्दोआन जनमत सर्वेक्षणों में पिछड़े हुए थे. देश अभी 20 साल के सबसे गहरे आर्थिक संकट में है.’

तुर्किये के विश्लेषकों के मुताबिक जब संकट का समय हो, तो उस समय लोकलुभावन मुद्दों को उछाल देना राष्ट्रपति अर्दोआन की महारत रही है. इस समय देश में महंगाई दर 70 फीसदी से भी ऊपर है. इस कारण लोग सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं. सिकार्डी ने कहा- ‘नए नाम को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिलने से तुर्किये की जनता का ध्यान ठोस मुद्दों से हटेगा. उधर एर्दोआन का यह दावा मजबूत होगा कि वे एक मजबूत और परंगरागत पहचान वाले देश के निर्माण में जुटे हुए हैं.’

अर्दोआन ने 2020 में इस्तांबुल के ऐतिहासिक बाइजेनटाइन हैजिया सोफिया म्यूजियम को मस्जिद में बदलने का आदेश जारी किया था. देश का नाम बदलने को भी उनके उसी कदम जैसा समझा जा रहा है. तुर्किये के राजनीतिक विश्लेषक सिरेन कोर्कमैज ने सीएनएन से कहा- ‘देश की आर्थिक और राजनीतिक समस्याओं को हल करने की जब कोई ठोस नीति नहीं है, तो एर्दोआन सत्ती लोकप्रियता दिलाने वाली अस्मिता की राजनीति के जरिए रास्ता निकालने की कोशिश करते हैं.’