वॉशिंगनटः 5 अगस्त 2017 को मिनेसोटा की एक मस्जिद दार अल-फारूक सेंटर पर बम फेंकने में मदद करने वाले इलिनोइस के दो अमरीकी नागरिकों को मंगलवार को इस प्रकार के जुर्म में आमतौर पर दी जाने वाली 35 वर्ष की सज़ा में छूट देते हुए 16 साल और लगभग 14 साल की जेल की सजा सुनाई गई। क्योंकि अभियुक्तों ने सहयोग किया और हमले के मास्टर माइंड के खिलाफ गवाही दी।
अदालत के दस्तावेजों के अनुसार, दार अल-फारूक इस्लामिक सेंटर पर हमले को अंजाम देने में मदद करने के लिए 33 वर्षीय माइकल मैकहॉर्टर और जो 26 वर्षीय मॉरिस को क्रमशः 16 साल और 14 साल की सजा सुनाई गयी
उन पर आग्नेयास्त्रों, आगजनी, घरेलू आतंकी मामले, विनाशकारी उपकरण के उपयोग और संघीय नागरिक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था, उस विस्फोट में कोई हताहत नहीं हुआ। FBI ने अपनी जांच में बताया था कि मॉरिस और मैकहॉर्टर ने ये हमला अमेरिका में मुसलमानों को ‘डराने के प्रयास में किया था।
द व्हाइट रेबिट (The White Rabbit) मिलिशिया समूह के नेता एमिली क्लेयर हरि, जिन्हें पहले माइकल हरि के नाम से जाना जाता था, जिन्हें 5 अगस्त, 2017 को पाइप बम विस्फोट के मास्टरमाइंड का दोषी ठहराया गया था, उन्हें सितंबर में 53 साल की सजा मिली थी। मैकहॉर्टर और मॉरिस ने उस मामले में सहयोग किया था। मॉरिस ने गवाही दी कि हरि ने उन्हें बताया कि मस्जिद आईएसआईएस लड़ाकों को प्रशिक्षण दे रही थी।
एमिली क्लेयर हरि की सजा पर अमेरिकी जिला न्यायाधीश डोनोवन फ्रैंक ने कहा कि मिनेसोटा में सोमाली प्रवासियों के पूजा स्थल पर बमबारी “घरेलू आतंकवाद का एक पूर्व नियोजित कार्य” था।