बिहार में सफाई कर्मचारियों के आंदोलन में शामिल कुत्ते की वजह से ट्विटर पर भिड़े दलित एक्टिविस्ट और न्यूज़ एंकर

नई दिल्लीः सोशल मीडिया पर दलित एक्टिविस्ट और न्यूज़ 24 की एंकर साक्षी जोशी में भिड़ंत चल रही है। दरअस्ल बिहार में सफाईकर्मियों को हटाकर सफाई का ठेका निजी कंपनियों को दे दिया गया है। जिसके विरोध में सफाई कर्मचारी विरोध कर रहे हैं, सफाई कर्मचारी अपने विरोध प्रदर्शन में कुत्ते को भी साथ लिये हुए हैं, जिसे उन्होंने उल्टा लटका रख है। सफाई कर्मचारियों की ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रही हैं।

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भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आज़ाद ने इन तस्वीरों को ट्वीट करते हुए लिखा है कि बिहार में सफाईकर्मियों को हटा कर निजी कंपनी को ठेका दिया जा रहा है निजीकरण का सबसे पहला शिकार बहुजन समाज के लोग होते है। इस ठेकेदारी प्रथा के खिलाफ पूरे बहुजन समाज के लोगों को एकजुट होकर आंदोलन करना चाहिए ताकि हमारे लोगों की नोकरियों को बचाया जा सके।

चंद्रशेखर आज़ाद के इस ट्वीट पर न्यूज़ 24 की एंकर साक्षी जोशी ने आपत्ती जताते हुए लिखा कि ये कैसा विरोध है चंद्रशेखर आज़ाद? इन बेजुबानों के साथ इस तरह अत्याचार करने का अधिकार हमें किसने दिया? विरोध के लिए इस स्तर तक न गिरें। बेहद दुर्भाग्यपूर्ण। मुझे हैरानी है खुद को इंसान कहने वाले वहां खड़े होकर तमाशा देख रहे हैं? इस पर दलित एक्टिविस्ट डॉक्टर कुश ने साक्षी को जवाब देते हुए लिखा कि आप लोगों को मरे जानवर को लटकाना नजर आ गया लेकिन दलित नजर नही आये ? यही तो आप लोगों की ब्राह्मणवादी सोच है दलितों से ज्यादा आप लोगों को जानवरों की चिंता है।

इस पर साक्षी ने जवाब दिया कि जो मुझे जानते हैं वो ये भी जानते हैं मनुवादी सोच और मेरा दूर दूर तक लेना देना नहीं। मेरे बारे में अपना होमवर्क ठीक से कर लेते तो बेहतर होता।इस तस्वीर में किसी को भी जानवर ही नजर आएगा।इंसान दिख रहे हैं उसमें दलित का ऐंगल‌ डालकर बेचारे आप बनना चाह रहे हैं। निर्दयी हैं ये सब लोग. इस पर डॉक्टर कुश ने कहा कि आपके बारे में जानने की मुझे कोई जरूरत नही है आपने ट्वीट किया ओर मैंने रिप्लाई किया है हमें सिर्फ इतना बता दीजिए कितने मरे हुए जानवरों को आपने या आपकी बिरादरी उच्च जातियों ने अब तक उठाया इसका ब्यौरा दे या तस्वीर भेज दें ताकि हम भी जाने की आपका जानवरों के प्रति प्रेम कितना है।

ये विवाद बढ़ता चला गया और साक्षी ने कुश को जवाब देते हुए लिखा कि मैं मरे हुए जानवर या घायल जानवर के लिए जो करती हैं उसे तस्वीर में कैद करने की जरुरत नहीं और न ही आपको कोई प्रमाण देने की मुझे जरूरत है समझे आप?

कभी मेरे दफ्तर के आसपास आ जाना और किसी से भी पूछ लेना यहां किसी भी कुत्ते को चोट पहुंचती है तो कौन उनका इलाज कराता है। जवाब मिल जाएगा. इसका जवाब देते हुए कुश ने कहा कि मैं बात चोट लगे कि नही मरे हुए जानवर की कर रहा हूँ कितने मरे हुए जानवरों को आपकी जाति के लोगों को उठाना पड़ता है और वो भी बिना सैलेरी के? आप पत्रकार है आपको भी होमवर्क करना चाहिए था इतनी चिंता है तो आपकी जाति सफाई और मरे जानवर उठाने का काम करे हम ये पेशा छोड़ने को तैयार है।

इसके बाद साक्षी ने एक और ट्वीट किया जिसमें उन्होंने कुश को जवाब देते हुए लिखा कि ऐसा लगता है जातिवाद से प्रेम आपको ज्यादा है। आपकी सारी बात में जाति शब्द आता है। लगता है आप ही इसे छोड़ना नहीं चाहते। बाकी आप डाक्टर बनें, कलेक्टर बनें, इंजीनियर बनें मुझसे ज्यादा खुशी किसी को नहीं होगी। शुभकामनाएं.. इस पर डॉक्टर कुश ने जवाब दिया कि जातिवाद के बारे में जाति का नाम लिए बिना बात करना संभव नही है जैसे पितृसत्ता के बारे में पितृसत्ता का नाम लिए बिना बात नही कर सकते। जाति इस देश की सच्चाई है जहां आज भी मूंछ रखने,अच्छे कपड़े पहनने,घोड़ी चढ़ने पर लोगों को मार दिया जाता हो आप हमें कह रहे हो हमे जातिवाद से प्रेम है?

दलित एक्टविस्ट को किया ब्लॉक

न्यूज़ 24 की एंकर साक्षी जोशी ने इसके बाद डॉक्टर कुश को ब्लाक कर दिया। जिसके बाद और दूसरे दलित एक्टिविस्ट भी साक्षी जोशी पर हमलावर हो गए। वेद प्रकाश नाम के एक दलित एक्टिविस्ट ने साक्षी जोशी के ट्विटर हैंडल का स्क्रीन पोस्ट करते हुए लिखा कि रावण को ट्रोल कर रही थी। जवाब दिए तो ब्लॉक कर दी। दलितों द्वारा मरे जानवर को टांगने पर इसे पीड़ा हो रही थी। हम कहे कि दुकान में टंगे मांस देख कर मुँह में पानी आता है, दलितों ने आंदोलन का प्रतीक बनाया तो बुरा मान गयी। जानवर को पकाते हुए और डाइनिंग टेबल पर खाते हुए कभी शर्म आयी है?

इसके बाद साक्षी ने जवाब देते हुए लिखा कि इसलिए कर दिया कि वो शायद कुत्ता खाते हैं और गंदी तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं जो मैं देखना नहीं चाहती।  इसलिए ऐसे आदमी से बात करना ही बेमानी है। आपको लगता है उनका फालतू का कुतर्क वाजिब था तो आपको भी ब्लॉक कर देती हूं। क्या बात है अपनी पूरी आर्मी साक्षी के खिलाफ लगा रखी है। दयनीय असल मुद्दा तो इस आदमी की भाषा में और विचार में ही साफ झलक गया। हमारे रावण को कैसे ट्रोल कर दिया इसने। भक्त तो आप भी कम नहीं। तरस आता है. इसके बाद कुश ने एक और सवाल किया कि नार्थ ईस्ट में कुत्ता खाया जाता है,बिहार में हमारे समाज के लोगों को तो गरीबी की वजह से चूहे भी खाने पड़ते है तो आपकी नजर में क्या हम सब ब्लॉक (संवाद न) करने लायक हो गए है? क्या आपका दूसरों से बात करना इसपर निर्भर है कि वो क्या खातें है तो ये मनुवाद से अलग कैसे हुआ?