नई दिल्लीः सोशल मीडिया पर दलित एक्टिविस्ट और न्यूज़ 24 की एंकर साक्षी जोशी में भिड़ंत चल रही है। दरअस्ल बिहार में सफाईकर्मियों को हटाकर सफाई का ठेका निजी कंपनियों को दे दिया गया है। जिसके विरोध में सफाई कर्मचारी विरोध कर रहे हैं, सफाई कर्मचारी अपने विरोध प्रदर्शन में कुत्ते को भी साथ लिये हुए हैं, जिसे उन्होंने उल्टा लटका रख है। सफाई कर्मचारियों की ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रही हैं।
भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आज़ाद ने इन तस्वीरों को ट्वीट करते हुए लिखा है कि बिहार में सफाईकर्मियों को हटा कर निजी कंपनी को ठेका दिया जा रहा है निजीकरण का सबसे पहला शिकार बहुजन समाज के लोग होते है। इस ठेकेदारी प्रथा के खिलाफ पूरे बहुजन समाज के लोगों को एकजुट होकर आंदोलन करना चाहिए ताकि हमारे लोगों की नोकरियों को बचाया जा सके।
आप लोगों को मरे जानवर को लटकाना नजर आ गया लेकिन दलित नजर नही आये ? यही तो आप लोगों की ब्राह्मणवादी सोच है दलितों से ज्यादा आप लोगों को जानवरों की चिंता है। @sakshijoshii @Profdilipmandal https://t.co/DWdP10S555
— कुश अम्बेडकरवादी (@Kush_voice) February 9, 2020
चंद्रशेखर आज़ाद के इस ट्वीट पर न्यूज़ 24 की एंकर साक्षी जोशी ने आपत्ती जताते हुए लिखा कि ये कैसा विरोध है चंद्रशेखर आज़ाद? इन बेजुबानों के साथ इस तरह अत्याचार करने का अधिकार हमें किसने दिया? विरोध के लिए इस स्तर तक न गिरें। बेहद दुर्भाग्यपूर्ण। मुझे हैरानी है खुद को इंसान कहने वाले वहां खड़े होकर तमाशा देख रहे हैं? इस पर दलित एक्टिविस्ट डॉक्टर कुश ने साक्षी को जवाब देते हुए लिखा कि आप लोगों को मरे जानवर को लटकाना नजर आ गया लेकिन दलित नजर नही आये ? यही तो आप लोगों की ब्राह्मणवादी सोच है दलितों से ज्यादा आप लोगों को जानवरों की चिंता है।
आपके बारे में जानने की मुझे कोई जरूरत नही है आपने ट्वीट किया ओर मैंने रिप्लाई किया है हमें सिर्फ इतना बता दीजिए कितने मरे हुए जानवरों को आपने या आपकी बिरादरी उच्च जातियों ने अब तक उठाया इसका ब्यौरा दे या तस्वीर भेज दें ताकि हम भी जाने की आपका जानवरों के प्रति प्रेम कितना है। https://t.co/CSdsuuarkL
— कुश अम्बेडकरवादी (@Kush_voice) February 9, 2020
इस पर साक्षी ने जवाब दिया कि जो मुझे जानते हैं वो ये भी जानते हैं मनुवादी सोच और मेरा दूर दूर तक लेना देना नहीं। मेरे बारे में अपना होमवर्क ठीक से कर लेते तो बेहतर होता।इस तस्वीर में किसी को भी जानवर ही नजर आएगा।इंसान दिख रहे हैं उसमें दलित का ऐंगल डालकर बेचारे आप बनना चाह रहे हैं। निर्दयी हैं ये सब लोग. इस पर डॉक्टर कुश ने कहा कि आपके बारे में जानने की मुझे कोई जरूरत नही है आपने ट्वीट किया ओर मैंने रिप्लाई किया है हमें सिर्फ इतना बता दीजिए कितने मरे हुए जानवरों को आपने या आपकी बिरादरी उच्च जातियों ने अब तक उठाया इसका ब्यौरा दे या तस्वीर भेज दें ताकि हम भी जाने की आपका जानवरों के प्रति प्रेम कितना है।
मैं बात चोट लगे कि नही मरे हुए जानवर की कर रहा हूँ कितने मरे हुए जानवरों को आपकी जाति के लोगों को उठाना पड़ता है और वो भी बिना सैलेरी के? आप पत्रकार है आपको भी होमवर्क करना चाहिए था इतनी चिंता है तो आपकी जाति सफाई और मरे जानवर उठाने का काम करे हम ये पेशा छोड़ने को तैयार है। https://t.co/0PXvMMIFqM
— कुश अम्बेडकरवादी (@Kush_voice) February 9, 2020
ये विवाद बढ़ता चला गया और साक्षी ने कुश को जवाब देते हुए लिखा कि मैं मरे हुए जानवर या घायल जानवर के लिए जो करती हैं उसे तस्वीर में कैद करने की जरुरत नहीं और न ही आपको कोई प्रमाण देने की मुझे जरूरत है समझे आप?
जातिवाद के बारे में जाति का नाम लिए बिना बात करना संभव नही है जैसे पितृसत्ता के बारे में पितृसत्ता का नाम लिए बिना बात नही कर सकते। जाति इस देश की सच्चाई है जहां आज भी मूंछ रखने,अच्छे कपड़े पहनने,घोड़ी चढ़ने पर लोगों को मार दिया जाता हो आप हमें कह रहे हो हमे जातिवाद से प्रेम है?? https://t.co/xCznDs0sfB
— कुश अम्बेडकरवादी (@Kush_voice) February 9, 2020
कभी मेरे दफ्तर के आसपास आ जाना और किसी से भी पूछ लेना यहां किसी भी कुत्ते को चोट पहुंचती है तो कौन उनका इलाज कराता है। जवाब मिल जाएगा. इसका जवाब देते हुए कुश ने कहा कि मैं बात चोट लगे कि नही मरे हुए जानवर की कर रहा हूँ कितने मरे हुए जानवरों को आपकी जाति के लोगों को उठाना पड़ता है और वो भी बिना सैलेरी के? आप पत्रकार है आपको भी होमवर्क करना चाहिए था इतनी चिंता है तो आपकी जाति सफाई और मरे जानवर उठाने का काम करे हम ये पेशा छोड़ने को तैयार है।
एक्टिविस्ट वेद ने एक वाजिब सवाल उठाया जिसके प्रत्युत्तर में @sakshijoshii जी ने ब्लॉक कर दिया क्या इतनी ही सहनशक्ति थी?? यानी कि आप दूसरा पक्ष सुनना ही नही चाहते जबकि आपने @BhimArmyChief के लिए ” इस स्तर तक न गिरें” शब्द तक प्रयोग किया है। https://t.co/2UztXXAzXK
— कुश अम्बेडकरवादी (@Kush_voice) February 9, 2020
इसके बाद साक्षी ने एक और ट्वीट किया जिसमें उन्होंने कुश को जवाब देते हुए लिखा कि ऐसा लगता है जातिवाद से प्रेम आपको ज्यादा है। आपकी सारी बात में जाति शब्द आता है। लगता है आप ही इसे छोड़ना नहीं चाहते। बाकी आप डाक्टर बनें, कलेक्टर बनें, इंजीनियर बनें मुझसे ज्यादा खुशी किसी को नहीं होगी। शुभकामनाएं.. इस पर डॉक्टर कुश ने जवाब दिया कि जातिवाद के बारे में जाति का नाम लिए बिना बात करना संभव नही है जैसे पितृसत्ता के बारे में पितृसत्ता का नाम लिए बिना बात नही कर सकते। जाति इस देश की सच्चाई है जहां आज भी मूंछ रखने,अच्छे कपड़े पहनने,घोड़ी चढ़ने पर लोगों को मार दिया जाता हो आप हमें कह रहे हो हमे जातिवाद से प्रेम है?
दलित एक्टविस्ट को किया ब्लॉक
न्यूज़ 24 की एंकर साक्षी जोशी ने इसके बाद डॉक्टर कुश को ब्लाक कर दिया। जिसके बाद और दूसरे दलित एक्टिविस्ट भी साक्षी जोशी पर हमलावर हो गए। वेद प्रकाश नाम के एक दलित एक्टिविस्ट ने साक्षी जोशी के ट्विटर हैंडल का स्क्रीन पोस्ट करते हुए लिखा कि रावण को ट्रोल कर रही थी। जवाब दिए तो ब्लॉक कर दी। दलितों द्वारा मरे जानवर को टांगने पर इसे पीड़ा हो रही थी। हम कहे कि दुकान में टंगे मांस देख कर मुँह में पानी आता है, दलितों ने आंदोलन का प्रतीक बनाया तो बुरा मान गयी। जानवर को पकाते हुए और डाइनिंग टेबल पर खाते हुए कभी शर्म आयी है?
नार्थ ईस्ट में कुत्ता खाया जाता है,बिहार में हमारे समाज के लोगों को तो गरीबी की वजह से चूहे भी खाने पड़ते है तो आपकी नजर में क्या हम सब ब्लॉक(संवाद न)करने लायक हो गए है? क्या आपका दूसरों से बात करना इसपर निर्भर है कि वो क्या खातें है तो ये मनुवाद से अलग कैसे हुआ?? https://t.co/8AJdxczotP
— कुश अम्बेडकरवादी (@Kush_voice) February 9, 2020
इसके बाद साक्षी ने जवाब देते हुए लिखा कि इसलिए कर दिया कि वो शायद कुत्ता खाते हैं और गंदी तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं जो मैं देखना नहीं चाहती। इसलिए ऐसे आदमी से बात करना ही बेमानी है। आपको लगता है उनका फालतू का कुतर्क वाजिब था तो आपको भी ब्लॉक कर देती हूं। क्या बात है अपनी पूरी आर्मी साक्षी के खिलाफ लगा रखी है। दयनीय असल मुद्दा तो इस आदमी की भाषा में और विचार में ही साफ झलक गया। हमारे रावण को कैसे ट्रोल कर दिया इसने। भक्त तो आप भी कम नहीं। तरस आता है. इसके बाद कुश ने एक और सवाल किया कि नार्थ ईस्ट में कुत्ता खाया जाता है,बिहार में हमारे समाज के लोगों को तो गरीबी की वजह से चूहे भी खाने पड़ते है तो आपकी नजर में क्या हम सब ब्लॉक (संवाद न) करने लायक हो गए है? क्या आपका दूसरों से बात करना इसपर निर्भर है कि वो क्या खातें है तो ये मनुवाद से अलग कैसे हुआ?