लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गुरुवार को अपने चाचा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव से पांच साल के लंबे इंतजार के बाद मुलाकात कर उत्तर प्रदेश विधान सभा का आगामी चुनाव मिलकर लड़ने की बात कही है।
अखिलेश ने सोशल मीडिया पर यह जानकारी साझा करते हुये कहा, “प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी से मुलाक़ात हुई और गठबंधन की बात तय हुई।” अखिलेश ने क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन करके अगला विधानसभा चुनाव लड़ने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुये कहा, “क्षेत्रीय दलों को साथ लेने की नीति सपा को निरंतर मजबूत कर रही है और सपा और अन्य सहयोगियों को ऐतिहासिक जीत की ओर ले जा रही है।”
अखिलेश ने यहां स्थित शिवपाल के आवास पर हुयी मुलाकात की तस्वीर भी सोशल मीडिया पर साझा की। सूत्रों के अनुसार दोनों के बीच बंद कमरे में हुयी लगभग एक घंटे की मुलाकात के दौरान अखिलेश ने चाचा शिवपाल के समक्ष प्रसपा के सपा में विलय का भी प्रस्ताव रखा था।
प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी से मुलाक़ात हुई और गठबंधन की बात तय हुई।
क्षेत्रीय दलों को साथ लेने की नीति सपा को निरंतर मजबूत कर रही है और सपा और अन्य सहयोगियों को ऐतिहासिक जीत की ओर ले जा रही है। #बाइस_में_बाइसिकल pic.twitter.com/x3k5wWX09A
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) December 16, 2021
‘चाचा भतीजे’ की अर्से बाद हुयी इस मुलाकात में दोनों ने एक दूसरे के प्रति गिले शिकवे दूर करते हुये आगामी चुनाव में दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे पर भी विचार विमर्श किया। सूत्राें ने बताया कि मुलाकात के दौरान चाचा शिवपाल भावुक भी हुये।
इस बीच भाजपा ने अखिलेश और शिवपाल की मुलाकात से कोई असर नहीं पड़ने की बात कही है। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डा दिनेश शर्मा ने कहा कि सपा प्रसपा के मिलने से चुनाव में भाजपा पर कोई असर नहीं पड़ेगा। डा शर्मा ने कहा कि प्रदेश की जनता जानती है कि ये दो पार्टियों का नहीं बल्कि मात्र दो परिवारों का मिलन है और परिवारवाद को जनता पहले ही नकार चुकी है।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा के पिछले चुनाव के समय से ही अखिलेश और शिवपाल के रिश्तों में आयी तल्खी का दौर जारी था। हाल ही में शिवपाल ने आगामी विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज होने के साथ ही पांच साल पुरानी तल्खी को दूर करने की शुरुआती पहल करते हुये अखिलेश से गठबंधन कर चुनाव लड़ने की पेशकश की थी।
शिवपाल ने सपा में प्रसपा के विलय का विकल्प भी खुला रखते हुये कहा था कि अखिलेश को ही आगे की रणनीति के लिये कोई पहल करनी होगी। पिछले कुछ समय से अखिलेश भी शिवपाल की पहल पर सकारात्मक टिप्पणी करते हुये समय आने पर उनसे बात करने की बात कह रहे थे।
गौरतलब है कि 2017 में विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश द्वारा सपा से बाहर का रास्ता दिखाने के बाद शिवपाल ने 2018 में प्रसपा का गठन किया था। हालांकि पिछला विधानसभा चुनाव शिवपाल सपा के टिकट पर ही इटावा जिले की जसवंतनगर सीट से लड़कर जीते थे।